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Tuesday, June 29, 2010

तुम्हारे बिना जी न लगे घर में

1980 के आसपास एक फिल्म रिलीज हुई थी - भूमिका

यह अभिनेत्री स्मिता पाटिल की पहली फिल्म हैं जिसमे अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। यह कलात्मक फिल्म हैं जिसके निर्देशक शायद श्याम बेनेगल हैं। माना जाता हैं कि यह फिल्म मराठी की एक पुरानी अभिनेत्री के जीवन पर आधारित हैं। इसमे नायक हैं अमोल पालेकर, अमरीश पुरी की भी मुख्य भूमिका हैं।

इस फिल्म के गीत प्रीति सागर ने गाए हैं। बहादुर शाह जफ़र की एक गजल भी हैं। सभी गीत रेडियो के सभी केन्द्रों से बहुत सुनवाए जाते थे। अब बहुत समय से नही सुना। आज याद आ रहा हैं यह गीत जिसमे शास्त्रीय संगीत का पुट हैं। इस गीत के कुछ बोल याद आ रहे हैं -

तुम्हारे बिन जी न लगे घर में

बलम जी तुमसे मिला के अंखियाँ

बदल गई मैं तो एक नजर में

बलम जी तुमसे मिला के अंखिया

ये कैसा दिखाया तुमने सपना

मैं पीछे सब छोड़ आई अपना

खडी हूँ रंगों के एक भंवर में

बलम जी तुमसे मिला के अँखियाँ

तुम्हारे बिन जी न लगे घर में

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मीठी मीठी सी बेकरारी

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

Saturday, June 26, 2010

1. मेरी बजाई हुई माऊथ ओर्गन (हार्मोनिका) पर दूसरी धून 2. रेडियो सिलोन से उपलब्ध एक कम जाने अच्छे गीत की

आदरणिय पाठको,

जनवरी, 2010 की शुरूआतमें मैनें मेरी ख़ूद माऊथ ओरगन पर बजाई फिल्म एक ही रास्ता के गीत साँवरे सलोने की धून इस मंच पर रख़ी थी, जिनको कुछ हद तक़ सकारात्मक प्रतिबाव मिला था और सागर भाईने फ़िर ऐसी कोशीश करने के लिये अपनी टिपणीमें अनुरोध किया था तो उस अनुरोध को मध्यनज़र रख़ते हुए फ़िल्म सीआईडी के गीत अय दिल मुश्कील जीना यहाँ को बजाया है । वैसे यु-ट्यूब पर तो कुछ दिनों से यह चढ़ा दिया था पर मंअल और शुक्रवार तो अन्नपूर्णाजी के लिये छोड़ देते है । तो इस लिये इतने दिन हो गये तो नीचे सुनिये, देख़ीये और (टिपणी) लिख़ीय्रे ।


जैसे इस ब्लोग के मंच पर आपको सुचीत किया गया है रेडियो सिलोन (श्री लंका) के रात्रीकालीन हिन्दी-अंग्रेजी के मिलेजूले प्रसारण को वेब से सुनने के लिये तो कितने पाठकोने सुना वह तो पता नहीं चला पर कभी कभी आम सिनेसंगीत शोक़ीन लोगों के लिये कुछ हद तक अनजान गाने कैसे प्रस्तूत किये जाते है इसकी मेरे इसी साईट से पाये हुए एक गाने की सिर्फ़ झलक प्रस्तूत करता हूँ । वैसे पूरा गाना मेरे पास है पर कई बार पाठकोने प्रतिभाव देने की बात टाल कर मूझे काफ़ी हद तक़ निराश किया है इस लिये अब आज से कभी भी पूरा गाना या पूरी धून यहाँ मेरी और से किसी भी कलाकार के संदर्भमें प्रस्तूत नहीं करूँगा पर सिर्फ़ झलके ही रखूँगा । और ज्यादा टिपणी मिली तभी इसे अपडेट या पूरक पोस्ट में रख़ने का या उन टिपणीकारों के निज़ी इ मेईल आईडी पर भेजने का इरादा रख़ता हूँ । हा, टिपणीमें हकीकत की गलती (भाषा की गलती को सागरभी क्षमा करें)की और विनय विवेक के साथ घ्यानाकर्षित करना तो जरूरी है, और मैं भी वैसा करता हूँ । तो सुनिये
श्रीमती ज्योति परमार की उद्दघोषणा के साथ ।

पियुष महेता (सुरत )

Thursday, June 17, 2010

प्यार-मोहब्बत के गानों की दुपहरियों की साप्ताहिकी 17-6-10

सवेरे के त्रिवेणी कार्यक्रम के बाद क्षेत्रीय प्रसारण तेलुगु भाषा में शुरू हो जाता है फिर हम दोपहर 12 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुडते है।

दोपहर 12 बजे का समय होता है इंसटेन्ट फ़रमाइशी गीतों के कार्यक्रम एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने का। इस सप्ताह सत्तर के दशक की फिल्मो का राज रहा। हमेशा की तरह शुरूवात में 10 फ़िल्मों के नाम बता दिए गए फिर बताया गया एस एम एस करने का तरीका। पहला गीत उदघोषक की खुद की पसन्द का सुनवाया गया ताकि तब तक संदेश आ सके। फिर शुरू हुआ संदेशों का सिलसिला।

शुक्रवार के लिए सत्तर के दशक की बेहतरीन फिल्मे चुनी गई जिन्हें ले आए कमल (शर्मा) जी। श्रोताओं ने भी इन फिल्मो के बढ़िया गीतों के लिए सन्देश भेजे। मनचली फिल्म का शीर्षक गीत, हीरा पन्ना, अमर प्रेम, अपराध, दो फूल, जोशीला, ज्वार भाटा , हिन्दुस्तान की कसम और सौदागर फिल्म का यह प्यारा सा गीत - सजना हैं मुझे सजना के लिए

और झील के उस पार फिल्म का यह गीत जिसे बहुत लम्बे समय बाद सुना -

क्या नज़ारे क्या सितारे सबको हैं इन्तेजार
तू कब सब देखेगी

शनिवार को निम्मी (मिश्रा) जी ले आई फिल्मे - रोटी कपड़ा और मकान, प्रेमनगर, बिदाई, आप की कसम, हाथ की सफाई, दोस्त। इस दिन अमीर गरीब फिल्म भी थी जिसका यह गीत श्रोताओं के सन्देश पर सुनवाया गया -

मैं आया हूँ लेके साज हाथो मैं

जो वास्तव में जोशीला फिल्म का गीत हैं। जोशीला फिल्म पिछले दिन के कार्यक्रम में शामिल थी।

रविवार के लिए हमशक्ल, कोरा कागज़, खान दोस्त जैसी फिल्मे चुनी गई।

सोमवार को नन्द किशोर (पाण्डेय) जी ने बड़ी मस्त शुरूवात की मनोरंजन फिल्म के इस गीत से जिसे बहुत दिन बाद सुन कर अच्छा लगा -

आया हूँ मैं तुझको ले जाउंगा अपने साथ तेरा हाथ थाम के
नहीं रे नहीं रे नहीं जाउंगी तेरे साथ तेरा हाथ थाम के

कुंवारा बाप, पिया का घर, प्राण जाए पर वचन न जाए, रजनी गंधा, चौकीदार, आक्रमण, कालीचरण और पुरानी फिल्मे आखिरी दांव और मदहोश भी शामिल थी।

मंगलवार को शोले, संन्यासी, धर्मात्मा, रफूचक्कर, खेल खेल में, चोरी मेरा काम, वारंट, दीवार, प्रतिज्ञा फिल्मे लेकर आए कमल (शर्मा) जी जिनके रोमांटिक गीतों के लिए श्रोताओं ने सन्देश भेजे और साथ ही धरम करम का यह अलग भाव का गीत भी संदेशो के अनुसार सुनवाया गया -

तेरे हमसफ़र गीत हैं तेरे
गीत ही तो जीवन मीत हैं तेरे

बुधवार को रेणु (बंसल) जी ने बड़ी अच्छी शुरूवात की, मुकेश के गाए छोटी सी बात फिल्म के इस गीत से जिसे कम ही सुनवाया जाता हैं -

ये दिन क्या आए लगे फूल हँसने
होने लगे बसंती सपने

इसके साथ आंधी, अमानुष, मिली, जूली, मौसम, चुपके-चुपके, गीत गाता चल और एक महल हो सपनों का फिल्मो के गीत सुनवाए गए।

आज क्षेत्रीय प्रसारण थोड़ा देर तक चला जिससे केन्द्रीय सेवा से जुड़ने तक पहला गीत शुरू हो चुका था जो मौसम का तकाजा रहा, दो झूठ फिल्म का गीत -

छतरी न खोल उड़ जाएगी बारिश तेज हैं

गीत सुनवाने आए राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी। अन्य फिल्मे रही - दो जासूस, काला सोना, जिन्दगी और तूफ़ान, जख्मी, जमीर, हिमालय से उंचा, रानी और लाल परी और बहुत दिन बाद शामिल हुई नायिका मुमताज की चुनिन्दा बेहतरीन फिल्मो में से एक फिल्म - नाटक जिसमे राजेश खन्ना भी हैं और मौसमी चटर्जी भी हैं। इसके इस बढ़िया शीर्षक गीत की फरमाइश बहुत से श्रोताओं ने की -

जिन्दगी एक नाटक हैं हम नाटक में काम करते हैं

आधा कार्यक्रम समाप्त होने के बाद फिर से बची हुई फ़िल्मों के नाम बताए गए और फिर से बताया गया एस एम एस करने का तरीका। कार्यक्रम के अंत में अगले दिन की 10 फ़िल्मों के नाम बताए गए। आरम्भ, बीच में और अंत में बजने वाली संकेत धुन ठीक ही हैं। देश के विभिन्न भागो से संदेश आए। सप्ताह भर इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया विजय दीपक छिब्बर जी ने।

12:55 को झरोका में दोपहर और बाद के केन्द्रीय और क्षेत्रीय प्रसारण की जानकारी तेलुगु भाषा में दी गई।

1:00 बजे कार्यक्रम सुनवाया गया - हिट सुपर हिट। यह कार्यक्रम हर दिन एक कलाकार पर केन्द्रित होता है, उस कलाकार के हिट सुपरहिट गीत सुनवाए जाते है।

शुक्रवार को अभिनेत्री परवीन बॉबी पर फिल्माए गीत सुनवाने आए कमल (शर्मा) जी। उनकी हिट फिल्मो के हिट गीत सुनवाए जिसमे उनके द्वारा गाये गीत भी शामिल थे फिल्म शान, नमक हलाल से और अन्य फिल्मे गुद्दार, पुकार के गीत सुनवाए।

शनिवार को निम्मी (मिश्रा) जी ने पार्श्व गायक के के के गाए हिट गीत सुनवाए फिल्म मैं हूँ ना, बचना ऐ हसीनो, जन्नत, हम दिल दे चुके सनम फिल्मो से, यह लोकप्रिय गीत भी शामिल था -

लुट गए हम तेरी मोहब्बत में

रविवार को पार्श्व गायक आतिफ असलम के गाए हिट गीत सुनवाए। जहर, रेस, किस्मत कनेक्शन, अजब प्रेम की गजब कहानी फिल्मो के गीत सुनवाए।

सोमवार को नन्द किशोर (पाण्डेय) जी ने सुनवाए संगीतकार प्रीतम के स्वरबद्ध किए गीत। शुरूवात हुई अजब प्रेम की गजब कहानी फिल्म के इस गीत से -

तेरा होने लगा हूँ जब से मिला हूँ

धूम फिल्म का शीर्षक गीत, अपना सपना मनी मनी, गैंगस्टर, जब वी मेट फिल्मो के गीत सुनवाए गए। इस सप्ताह प्रीतम का चुनाव ठीक नहीं लगा क्योंकि पिछले दो दिन नए गायकों के गीतों में, अधिकाँश गीतों में प्रीतम का ही संगीत था।

मंगलवार को पार्श्व गायक सोनू निगम और अलका याज्ञिक के गाए युगल गीत सुनवाए कमल (शर्मा) जी ने। रेफ्यूजी, जब प्यार किसी से होता हैं, यादें फिल्मो के गीत, कभी अलविदा न कहना फिल्म का शीर्षक गीत और यह बढ़िया गीत भी शामिल था -

सूरज हुआ मद्धम चाँद जलने लगा

बुधवार को रेणु (बंसल) जी ने अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती पर फिल्माए गीत सुनवाए। शुरूवात की तराना फिल्म के इस गीत से जिसे बहुत दिन बाद सुना -

गुंचे लगे हैं गहने
फूलो से गीत सुना हैं तराना प्यार का

गुलाम, प्यार झुकता नही फिल्मो के गीत भी शामिल थे। डिस्को डांसर फिल्म का शीर्षक गीत भी सुनवाया जिससे वो स्टार बने।

आज राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने सुनवाए अभिनेता शाहिद कपूर पर फिल्माए गीत। मोर्चा ही मोर्चा, किस्मत कनेक्शन, दिल मांगे मोर, इशक-विश्क फिल्म का शीर्षक गीत और विवाह फिल्म का चर्चित गीत - मिलन अभी आधा अधूरा हैं

1:30 बजे का समय रहा मन चाहे गीत कार्यक्रम का। सप्ताह भर नए पुराने गीत सुनवाए गए। पत्रों पर आधारित फ़रमाइशी गीतों में -

शुक्रवार को राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी सुनवाने आए फरमाइशी गीत। कल आज और कल, रूप तेरा मस्ताना, गोरा और काला, वंश, आराधना, त्रिदेव फिल्मो से रोमांटिक गीत, मोहरा फिल्म का मस्त-मस्त गीत, धड़कन फिल्म से शादी ब्याह का गीत और समापन किया आन मिलो सजना फिल्म के इस गीत से -

अच्छा तो हम चलते हैं

शनिवार को युनूस (खान) जी ने सुनवाए श्रोताओं की फरमाइश पर इन फिल्मो के गीत -लैला मजनूं, कभी-कभी, पारस, हमजोली, महबूब की मेहंदी और नई फिल्मे जैकपौट, पहेली, मुझसे शादी करोगी और रिफ्यूजी फिल्म का गीत -

पंछी नदिया पवन के झोके
कोई सरहद न इन्हें रोके

रविवार को राजुल (अशोक) जी ले आई ब्रह्मचारी, गद्दार, साथ-साथ, जीवन मृत्यु, जवानी दीवानी, खामोशी - द म्यूजिकल, हकीक़त, और जिगरी दोस्त फिल्म का यह गीत -

रात सुहानी जाग रही हैं
धीरे धीरे चुपके चुपके चोरी चोरी

सोमवार को गीत सुनवाने आई रेणु (बंसल) जी। इस दिन नए गीत अधिक रहे। जुर्म, मोहरा, कुछ तो हैं, आशिक बनाया आपने, सपने, कच्चे धागे, रॉकी फिल्मो के गीत सुनवाए और यह गीत भी शामिल था -

हमको हमीं से चुरा लो

मंगलवार को निम्मी (मिश्रा) जी ने पहले ही गीत में मौसम का हाल बता दिया। लगान फिल्म के इस गीत से शुरूवात की -

घनन घनन घिर आए बदरा

युवा, बेताब, आ जा नच ले, बुढ्ढा मिल गया, अशोका, अजनबी, क़यामत से क़यामत तक, शोर फिल्मो के गीत सुनवाए गए। इस तरह इस दिन नए पुराने मिले जुले गीत सुनवाए गए, सुनवाने का क्रम भी मिलाजुला अच्छा रहा।

बुधवार को अशोक (सोनामणे) जी आए गीत सुनवाने। नए पुराने फिल्मो के गीत सुनने के लिए ई-मेल आए। शुरूवात में सुनवाया रेडियो फिल्म का हिमेश रेशमिया का गाया यह गीत -

मन का रेडियो बजने दे ज़रा

तुम से अच्छा कौन हैं, पत्थर के सनम, राजहट, राजा, दिल, गोलमाल, बार्डर, जूली फिल्मो के गीत सुनवाए गए और कुदरत फिल्म के परवीन सुल्ताना के गाए इस गीत को सुन कर आनंद आ गया -

हमें तुम से प्यार कितना ये हम नही जानते
मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना

आज शुरूवात पुरानी फिल्म से हुई, परख फिल्म का गीत -

ओ सजना बरखा बहार आई

काला बाजार, पिया का घर, तीसरी क़सम, पत्थर के सनम, हम दोनों, चांदनी, मरते दम तक फिल्मो के गीत सुनवाए गए और अंखियो के झरोखे से फिल्म का शीर्षक गीत भी शामिल था।

बुधवार और गुरूवार के ई-मेल मन चाहे गीत कार्यक्रम में इस सप्ताह मेल संख्या कम ही लगी। अधिकाँश गीत एक ही मेल पर सुनवाए गए।

इस कार्यक्रम में अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया। दूरदर्शन की फिल्मो की जानकारी भी दी।

इस प्रसारण को स्वाती (भंडारकर) जी, तेजेश्री (शेट्टे) जी, निखिल (धामापुरकर) जी के तकनीकी सहयोग से हम तक पहुँचाया गया, नियंत्रण कक्ष (कंट्रोल रूम) से सुधाकर (मटकर) जी ने इस प्रसारण के तकनीकी पक्ष को सम्भाला और यह कार्यक्रम श्रोताओं तक ठीक से पहुँच रहा है, यह देखने (मानीटर) करने के लिए ड्यूटी रूम में ड्यूटी अधिकारी रहे रमेश (गोखले) जी।

दोपहर में 2:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम की समाप्ति के बाद आधे घण्टे के लिए क्षेत्रीय प्रसारण होता है जिसके बाद केन्द्रीय सेवा के दोपहर बाद के प्रसारण के लिए हम 3 बजे से जुड़ते है।

Tuesday, June 15, 2010

आज याद आ रहा हैं जुआरियों का एक गीत

1972-73 के आस-पास एक फिल्म रिलीज हुई थी - गुलाम बेगम बादशाह

इस फिल्म के मुख्य कलाकार - अनिल धवन, मौसमी चटर्जी और शत्रुघ्न सिन्हा हैं।

इस फिल्म के सभी गीत रेडियो के सभी केन्द्रों से खूब सुनवाए जाते थे। आज याद आ रहा हैं मन्नाडे का गाया एक गीत जो शायद जुआरियो के लिए एक सीख हैं, मुझे ठीक से याद नही आ रहा हैं पूरा गीत, मुखड़ा इस तरह हैं -

ताश के बावन पत्ते
पंजे छक्के सत्ते
सब के सब हरजाई
मैं लुट गया राम दुहाई

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

Thursday, June 10, 2010

सुबह के पंचरंगी प्रसारण की साप्ताहिकी 10-6-10

सप्ताह के हर दिन परम्परा के अनुसार शुरूवात संकेत धुन से हुई जिसके बाद वन्देमातरम फिर बताए गए दिन और तिथि, संवत्सर तिथि भी बताई गई जिसके बाद मंगल ध्वनि सुनवाई गई। यह सभी क्षेत्रीय केंद्र से प्रसारित हुआ। इसके बाद 6 बजे दिल्ली से प्रसारित हुए समाचार, 5 मिनट के बुलेटिन के बाद मुम्बई से प्रसारण शुरू हुआ जिसकी शुरूवात में कभी-कभार कार्यक्रमों के प्रायोजकों के विज्ञापन प्रसारित हुए जिसके बाद पहले कार्यक्रम वन्दनवार की शुरूवात मधुर संकेत धुन से हुई, फिर सुनाया गया चिंतन।

चिंतन में इस बार शामिल रहे कथन - चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का कथन - सुख, प्राप्ति में नही, त्याग में हैं। वेद व्यास के 3 कथन बताए गए - माता के रहते किसी बात की चिंता नही रहती। इस दिन पर्यावरण दिवस के सन्दर्भ में जीवहिंसा पर कोई कथन बताया जाता तो अच्छा रहता। दूसरा कथन - पराक्रम से सभी गुणीभूत होकर रहते हैं। तीसरा कथन - ऎसी वाणी बोलनी चाहिए जिसे सुन कर सबको सुख मिले। गांधी जी का कथन - मीठी बोली मन की कड़वाहट को मिटाती हैं। बुधवार को समाचार के बाद संगीत बजता रहा और आज जैसे ही विज्ञापन शुरू हुआ तेलुगु भक्ति गीत बज उठा, शायद क्षेत्रीय केंद्र में तकनीकी समस्या रही फिर केन्द्रीय सेवा से जुड़े तब पहला भक्ति गीत शुरू हुआ इसी से चिंतन नही सुन सके।

वन्दनवार कार्यक्रम में इस बार भी फिल्मी घुसपैठ जारी रही। विनम्र अनुरोध है कृपया फिल्मी भक्ति गीतों और देश भक्ति गीतों का अलग कार्यक्रम रखिए ऐसे समय जहां क्षेत्रीय कार्यक्रमों का समय न हो ताकि हम इन फिल्मी भक्ति गीतों और देश भक्ति गीतों का आनंद ले सके। वन्दनवार में इन गीतों से कार्यक्रम की गरिमा को धक्का लगता हैं।

शुक्रवार को पहला भक्ति गीत सुनने के बाद खरखराहट शुरू हो गई, कुछ समय के बाद संगीत बजने लगा, शायद क्षेत्रीय केंद्र से। लगभग 10 मिनट तक कार्यक्रम नही सुन पाए। सप्ताह भर विविध भक्ति गीत सुने -

माँ सरस्वती की आरती - ॐ जय सरस्वती माता

गणेश वन्दना - जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती पिता महादेवा

साकार रूप के भक्ति गीत -

भोले तेरे कांवर की हैं महिमा अपार
जो श्रृद्धा से गाया उसका बेड़ा पार
बोलो अमरनाथ बम बम

निराकार रूप के भक्ति गीत शामिल रहे - मोको कहाँ ढूंढें रे बन्दे मैं तो तेरे पास में

पुराने लोकप्रिय भजन सुनवाए गए - कुछ लेना न देना मगन रहना

सीताराम सीताराम सीताराम कहिए
जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए

इस बार नए भक्ति गीत भी सुनवाए गए - मेरे कृष्ण मुरारी आ देर न कर गिरधारी

और शास्त्रीय पद्धति में ढला भक्ति गीत - बंसी वाले अब देखियो

भक्तों के भक्ति गीत - मीरा का भजन - मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई

कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा, प्रसिद्ध साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का गीत सुनवाया - भारती जय विजय करे

लोकप्रिय देशभक्ति गीत सुनवाए गए -

ओ ----------
जगत ने ली अंगडाई रे

भारत में सुख शान्ति भरो हे दूर हटा दो बंधन सारे
आज देश की नूतनता से नव जीवन नव कांति भरो हे

वतन बनेगा स्वर्ग हमारा घर घर घूमे चरखा प्यारा

प्यारी जन्म भूमि मेरी प्यारी जन्मभूमि
नीलम का आसमान हैं सोने की धरा हैं
चांदी की हैं नदिया पवन भी प्रीत भरा हैं

यह नया देशगान सुनना अच्छा लगा पर विवरण नही बताया गया -

देश के बेटो सो मत जाना
अभी तो मंजिल बाक़ी हैं

6:30 बजे से क्षेत्रीय प्रसारण में तेलुगु भक्ति गीत सुनवाए गए जिसके बाद 6:55 को झरोका में केन्द्रीय और क्षेत्रीय प्रसारण की जानकारी तेलुगु भाषा में दी गई।

7 बजे का समय रहा भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम का जो प्रायोजित रहा। इस सप्ताह इस कार्यक्रम में अच्छा संतुलन रहा। हर दिन एकाध गीत ऐसा रहा जो अक्सर सुनवाया जाता हैं, लोकप्रिय हैं। एकाध ऐसा गीत जो बहुत कम सुनवाया जाता हैं। एकाध ऐसा गीत भी शामिल रहा जिसकी फिल्म का नाम शायद ही सुना गया हो। साथ ही हर दिन भूली-बिसरी आवाजे भी गूंजी।

शुक्रवार को सबसे अच्छा लगा यह अनमोल गीत सुनना -

अमवा की डाली डाली झूम रही हैं आली

उजाला, उड़न खटोला फिल्मो से लोकप्रिय गीत सुनवाए गए और कम सुने जाने वाले गीत भी शामिल रहे जैसे उस्ताद फिल्म से और गीता दत्त का गाया गीत - ये दर्द मुहब्बत का

शनिवार को अक्सर सुने जाने वाले गीत जैसे सुजाता फिल्म से बचपन के दिन वाला गीत और रफी साहब का गाया यह गीत - छुपने वाले सामने आ

कम चर्चित गीत तिलोतामा फिल्म से और शादी-ब्याह का यह गीत भी सुनवाया गया -

कोई ढोलक बजाए कोई शंख बजाए
आज मिलने का दिन

तलत महमूद और शमशाद बेगम के गाए गीत भी शामिल थे।

रविवार को सम्राट चन्द्र गुप्त फिल्म का यह अक्सर सुना जाने वाला गीत सुनवाया -

चाहे पास हो चाहे दूर हो मेरे सपनों की तुम तस्वीर हो

और सहगल साहब की आवाज में शाहजहाँ फिल्म का गीत सुनवाया गया। कम सुने जाने वाले गीतों में टीपू सुल्तान फिल्म का गीत, न सुनने में अच्छा लगा और न ही बोल अच्छे थे पर सुन कर लगा यह गीत अपने समय में भी भूला बिसरा ही रहा होगा। एक गाँव की कहानी फिल्म से तलत महमूद का गाया कम सुना जाने वाला गीत सुनवाया गया। इस कार्यक्रम में शमशाद बेगम और सुधा मल्होत्रा की आवाजे भी गूंजी।

सोमवार को तलत महमूद का गाया लोकप्रिय गीत सुनवाया -

प्यार पर्वत तो नही हैं मेरा लेकिन
तू बता दे मैं तुझे प्यार करूं या न करूं

कम सुने जाने वाले गीतों में चारमीनार फिल्म का गीत शामिल था - मंजिल पर बिछड़ने वाले, फ़रिश्ता फिल्म का गीत और सविता बैनर्जी की आवाज भी सुनी पर मजा आया सुरैया की आवाज में मोतीमहल फिल्म का यह मजेदार गीत सुनकर -

कभी न बिगड़े किसी की मोटर रस्ते में

मंगलवार को कम चर्चित फिल्म श्रवण कुमार का कम सुना जाने वाला गीत सुनना अच्छा लगा - बिछुआ ने मारा डंक

यह लोकप्रिय गीत भी सुनवाया गया - मुझको सनम तेरे प्यार ने जीना सिखा दिया

सहगल साहब का गीत चंडीदास फिल्म से, घर-गृहस्थी, फ़रिश्ता फिल्मो के गीतों के साथ घर की लाज फिल्म का लैला की उंगलिया ककड़ियो का मजेदार गीत भी शामिल था। इस दिन सुमन कल्याणपुर की आवाज भी गूंजी।

बुधवार को अक्सर सुने जाने वाले गीतों में गूँज उठी शहनाई, मदारी फिल्मो के गीतों के साथ यह गीत भी सुनवाया गया -

भीगा भीगा प्यार का समां बता दे तुझे जाना हैं कहाँ

गृहलक्ष्मी फिल्म का कम सुना जाने वाला यह गीत भी शामिल रहा -

जा रहा कहाँ तू बाजी हार कर जाने वाला
जिन्दगी से प्यार कर

नागमणि फिल्म का हास्य गीत सुन कर अच्छा लगा - सारी दुनिया हैं बीमार दवा करो

इस दिन सुरेन्द्र और कमल बारोट की आवाजे भी गूंजी।

आज बहुत सुने जाने वाले लोकप्रिय गीत सुनवाए गए मधुमती, परख फिल्मो से, वीर दुर्गा दास फिल्म का लोक गीत - थाने काजलिया बना लूं और सहगल साहब का एक बंगला बने न्यारा

यह गीत भी सुना जो कम ही सुनवाया जाता हैं - ये दुनिया हैं मेला यहाँ इंसान बिकते हैं

मैं नशे में हूँ फिल्म का गीत भी शामिल था। उषा मंगेशकर की भूली-बिसरी आवाज सुनी।

इस कार्यक्रम में फिल्मो और फिल्मी गीतों के बारे में सामान्य जानकारी भी कभी-कभार दी गई जैसे रिलीज होने का वर्ष, बैनर आदि।

7:30 बजे संगीत सरिता में श्रृंखला प्रसारित हुई - महिया सेइया (शायद लिखने में गलती हो) घराना और उसकी समृद्ध परम्परा जिसे प्रस्तुत किया प्रसिद्ध सरोद वादक श्री आशीष खाँ ने। जानकारी दी कि इस घराने का सरोद शुद्ध पारंपरिक होता हैं। राग बिलासखानी सुनाया, झाला के प्रकार बजा कर सुनाए। सबसे अच्छा लगा गीता के श्लोको को सुनना। आपने चुने हुए श्लोको को स्वरबद्ध किया हैं जिसे जितेन्द्र अभिषेकी ने गाया हैं और बीच-बीच में अंग्रेजी अनुवाद पंडित रविशंकर के स्वर में हैं।

रविवार को अंतिम कड़ी प्रसारित हुई जिसके प्रसारण में कुछ गड़बड़ लगी। गीता का एक श्लोक पिछली कड़ी की तरह सुनवाया गया। फिर आशीष खाँ साहब ने विदा ली फिर सुनवाया गया सरोद वादन। जिसमे आशीष खाँ साहब ने अलाउद्दीन खाँ साहब के बारे में बताया। यह सुनना अजीब सा लगा क्योंकि कार्यक्रम के स्वरूप के अनुसार विदा लेने के बाद रचना सुनी जा सकती हैं लेकिन फिर से उनका कुछ कहना ठीक नही लगता। संपादित कर बिदाई की बात को अंत में सुनवाया जा सकता था। इतना ही नही अंत में यह भी कहा कि यह रिकार्डिंग अलाउद्दीन खाँ साहब के बजाय सुर सिंगार की हैं। इतने दिनों से बढ़िया चल रही श्रृंखला का इस तरह से समापन ठीक नही लगा।

इस श्रृंखला को तैयार करने में विशेष सहयोग रहा मदन लाल व्यास जी का। श्रृंखला को तैयार किया छाया (गांगुली) जी ने।

एक और श्रृंखला आरम्भ हुई - मेरी संगीत यात्रा जिसमे संगीतकार खैय्याम से मोना (सिन्हा वर्मा) जी की बातचीत सुनवाई जा रही हैं। बातचीत की शुरूवात हुई संगीत के आरम्भ से जिसे खैय्याम साहब ने माँ की बच्चे को सुनाई जाने वाली लोरी से माना। पुराने और अब के संगीत में अंतर की बात करते हुए आज के गीतों में बोलो के कम होने की चर्चा की। अपने पहले गीत के बारे में बताया। उनका यह कहना अच्छा लगा कि गीत किसी एक का नही होता टीम का होता हैं। पहली कड़ी में आखिरी ख़त का गीत सुनवाया गया -

बहारों मेरा जीवन भी संवारो

फुटपाथ फिल्म के इस गीत से पश्चिमी वाद्यों के प्रयोग की शुरूवात की चर्चा चली - शामे गम की क़सम

यह स्वतन्त्र रूप से खैय्याम साहब की पहली फिल्म थी। वायलन की चर्चा में बताया की यह वाद्य वास्तव में देसी वाद्य रावणहत्ता से प्रेरित हैं। संगीत संयोजन में जगजीत कौर की सहायता की चर्चा करते हुए शगुन फिल्म का गीत सुनवाया। गानों को तैयार करने में फिल्म की कहानी और सिचुएशन को ध्यान में रखे जाने की बात समझाई शंकर हुसैन के गीत से -

आप यूं फासलों से गुजरते रहे
दिल से क़दमो की आवाज आती रही

आज खैय्याम साहब द्वारा तैयार किए गए रोमांटिक गीत सुनवाए गए -

फिर न कीजे मेरी गुस्ताक़ निगाही का गिला
देखिए प्यार से फिर आपने देखा मुझको

ठहरिए होश में आ लूं तो चले जाइएगा

चांदनी रात में एक बार तुम्हे देखा हैं

गीतों पर चर्चा चली तो लगा गीतकार से बात हो रही हैं, संगीतकार से नही। प्यार के भाव को गाने में उतारने की बात की लेकिन इसके लिए किन साजो का और कैसे प्रयोग किया गया यह भी बताते हर गीत के साथ तो अच्छा लगता।

इस श्रृखला के दौरान आरंभिक संकेत धुन अलग तरह की बजी। इस श्रृखला को विनायक (तलवलकर) जी के सहयोग से गणेश(शर्मा)जी ने प्रस्तुत किया।

7:45 को त्रिवेणी कार्यक्रम का प्रसारण हुआ। यह कार्यक्रम प्रायोजित होने से शुरू और अंत में प्रायोजक के विज्ञापन प्रसारित हुए। इस कार्यक्रम की संकेत धुन अच्छी हैं जो शुरू और अंत में सुनवाई जाती हैं।

शुक्रवार को परनिंदा पर चर्चा हुई। गाने भी अच्छे रहे, पुराना गीत -

तुझे दिल की बात बता दू
नही नही किसी को बता देगी तू

नया गीत भी शामिल था। अंत में यह ही कहा कि साफ कहने वाले लोग भी हैं और सुनवाया यह गीत -

दिल का हाल कहे दिलवाला
सीधी सी बात न मिर्च मसाला

शनिवार का अच्छा रहा - पढ़े-लिखे लोग भी नियम क़ानून की अनदेखी करते हैं जिससे महिलाओं के अधिकारों का हनन होता हैं, प्रकृति की अवहेलना में जीव हिंसा भी होती हैं इसीलिए बचपन से ही शिक्षा के साथ इन बाते के प्रति भी जागरूक बनाना चाहिए। गीत भी अच्छे शामिल रहे - महिलाओं के लिए -

कोमल हैं कमजोर नही

जीव हिंसा पर हाथी मेरे साथी फिल्म का गीत -

नफ़रत की दुनिया को छोड़ कर प्यार की दुनिया में खुश रहना मेरे यार

पर इसका रूख थोड़ा बदल देते तो पर्यावरण दिवस पर अच्छी प्रस्तुति हो जाती।

रविवार को घर और मकान में अंतर बताया गया। तेरे घर के सामने फिल्म का शीर्षक गीत और यह गीत भी सुनवाया गया -

छोटा सा घर होगा बादलो की छाँव में

नई फिल्म एक विवाह ऐसा भी का गीत भी सुनवाया गया।

सोमवार को विभिन्न तरह की चोरियों की चर्चा हुई। चोरी मेरा काम फिल्म का शीर्षक गीत, नया ज़माना फिल्म और राजा रानी फिल्म का यह गीत भी शामिल था -

जब अन्धेरा होता हैं आधी रात के बाद

मंगलवार को प्रतिस्पर्धा के इस दौर में अपनो के भी पराए होने, सूरत और सीरत अलग होने की चर्चा चली। सौतन फिल्म का गीत - जब अपने हो जाए बेवफा तो दिल टूटे

बंबई का बाबू फिल्म का शीर्षक गीत और भगवान दादा का यह गीत भी शामिल था -

भोली सूरत दिल के खोटे
नाम बड़े और दर्शन छोटे

इस दिन क्षेत्रीय केंद्र से दो बार कुछ गड़बड़ी होने से कुछ सेकेण्ड के लिए त्रिवेणी के बजाय तेलुगु कार्यक्रम चला।

बुधवार को कार्यक्रम अच्छा लगा क्योंकि शुक्रवार से लगातार पुराने अंक प्रसारित हो रहे थे, इस दिन नयापन रहा। जीवन के सफ़र में मिलने, बिछड़ने और यादो की बात चली। गीत भी अच्छे रहे -

जीवन के सफ़र में राही मिलते हैं बिछड़ जाने को

पिया का घर फिल्म से ये जीवन हैं गीत के अलावा ये गीत भी शामिल था -

आदमी जो कहता हैं आदमी जो सुनता हैं
जिन्दगी भर वो सदाए पीछा करती हैं

आज विषय तो पुराना था पर प्रस्तुति नई रही। जिन्दगी की बाते हुई, उसे देखने के विभिन्न नजरिए की चर्चा हुई। दो गाने नए थे जिनमे से एक यह -

कैसी पहेली हैं ये जिंदगानी

और एक पुराना गीत -

लिए सपने निगाहों में
चला हूँ तेरी राहो में
जिन्दगी आ रहा हूँ मैं

आशावादी गीत से समापन अच्छा लगा।

सवेरे के त्रिवेणी कार्यक्रम के बाद क्षेत्रीय प्रसारण तेलुगु भाषा में शुरू हो जाता है फिर हम दोपहर 12 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुडते है।

Saturday, June 5, 2010

रेडियो श्री लंका का रात्री-प्रसारण वेब पर

आप रेडियो श्री लंका का रात्री प्रसारण 9 से 10 के बीच

www.slbc.lk

Listen Live

Redio Shri Lanka

पर अन्ग्रेजी नेट प्रसारण के अन्तर्गत हिन्दी और अन्ग्रेजी में संयुक्त रूप से बारी बारी सुना जाता है और ज्यादा तर हिन्दी गानों के बीच कुछ अंग्रेजी गाने अन्ग्रेजी उद्दघोषणा के साथ भी प्रस्तूत होते है । और एक छोटा हिन्दी समाचार बुलेटीन भी बीचमें होता है । नेट पर रिसेप्शन सुस्पस्ट होता है । पर नेट कनेक्सन में कोई रूकावट नहीं होते हुए भी प्रसारणमें सातत्य हम नहीं पाते है । तो वह वेब पना फ़िरसे जोड़ना पड़ता है । रेडियो पर शुरूकी एक उद्दघोषणा सुनाई पड़ी थी, पर फ़िर अंग्रेजी संगीत शुरू होने पर मेरा रिसेप्सन पर विश्वास डगमगा गया था और डिस्टोर्सन भी काफ़ी रहा सिग्नल कमज़ौर होने के कारण ही तो ।
पर एक बात और है कि कल जो गाने बजे वह गाने समय के हिसाबसे पूराने भी थे और अच्छे भी थे पर भूले बिसरे की बजाय जाने पहचाने और सदा-बहार ही थे । आगे आगे देख़ीये होता है क्या !

पियुष महेता ।
सुरत ।

Friday, June 4, 2010

रेडियो श्री लंका -हिन्दी सेवा का रात्री प्रसारण आज से

आदरणिय पाठकगण,
आज रात्री 9 बजे से 10 बजे तक रेडियो श्रीलंका की हिन्दी सेवा अपना रात्री प्रसारण जो कितने समय से बंध हो गया था, रात्री 9 बजे से 10 बजे तक़ एक बार फ़िर शुरू कर रही है । एक और आनंद की बात है कि नेट पर भी ये शुरू होगा पर उस लिन्क के प्राप्त होने पर यहाँ रख़ा जायेगा ।

पियुष महेता ।
सुरत-395001.

रात के सुकून भरे कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 3-6-10

रात में हवामहल कार्यक्रम के बाद 8:15 बजे से क्षेत्रीय कार्यक्रम शुरू हो जाते है फिर हम 9 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।

9 बजे प्रसारित हुआ हिट-सुपरहिट कार्यक्रम। इसमे किसी एक कलाकार के गीत सुनवाए गए। इस समय इस कार्यक्रम का दुबारा प्रसारण होता हैं। मूल रूप से यह कार्यक्रम दोपहर 1:00 बजे प्रसारित होता हैं। दो बार प्रसारण के बजाय एक बार कोई और कार्यक्रम प्रसारित किया जा सकता हैं।

शुक्रवार को यह कार्यक्रम केवल 15 मिनट ही सुनने को मिला। 15 मिनट के लिए क्षेत्रीय प्रायोजित कार्यक्रम प्रसारित हुआ जो हिन्दी में था। इस दिन बताया गया अभिनेता इमरान हाशमी पर फिल्माए गए हिट-सुपरहिट गीत सुनिए और लगातार दो गीत सुनवाए गए। फिर बताया कि उनकी फिल्मो के गीत लोकप्रिय होते हैं फिर शुरू हुआ तीसरा गीत जिसके पूरा होने के पहले ही 9:15 हुए और शुरू हुआ क्षेत्रीय प्रायोजित कार्यक्रम। इस तरह एक भी फिल्म का नाम पता नही चला।

शनिवार को अभिनेता नसीरूद्दीन शाह पर फिल्माए गए गीत सुनवाए गए। उनके विभिन्न गीत सुनवाए - व्यावसायिक फिल्म त्रिदेव से तिरछी टोपी वाले गीत, बाजार फिल्म की गजल करोगे याद तो हर बात याद आएगी, सरफरोश, इजाजत, मासूम फिल्मो के गीत सुनवाए गए। उनका एक अलग तरह का गीत सुनवाया - इब्नबतूता जूता जिस पर कुछ जानकारी दी जाती तो अच्छा होता।

रविवार को अभिनेता ऋतिक रोशन पर पर फिल्माए गए गीत सुनवाए गए। पहली फिल्म कहो न प्यार हैं जिसका शीर्षक गीत सुनवाया। मिशन काश्मीर, कभी खुशी कभी गम के गीतों के साथ कोई तुमसा नही गीत भी सुनवाया।

सोमवार को पार्श्व गायक कुणाल गांजावाला के गाए गीत सुनवाए गए। शुरूवात की उस गीत से जिससे उन्हे पहचान मिली - भीगे होठ तेरे। कृष, साथिया, सलाम नमस्ते, काल फिल्मो के गीत सुनवाए।

मंगलवार को पार्श्व गायक कैलाश खेर के गाए गीत सुनवाए गए। स्वदेश, सलामे इश्क, दिल्ली 6 फिल्मो के गीत सुनवाए गए। खोसला का घोसला का गीत - दुनिया ऊट पटांगा और यह गीत भी शामिल था - ओ सिकंदर

बुधवार को फिल्मकार मणिरत्नम की फिल्मो के हिट सुपरहिट गीत सुनवाए गए। रोज़ा, दिल से फिल्म से - छैंया छैंया गीत, हम्मा हम्मा गीत और गुरू का नन्ना रे सुनवाया गया। मधुश्री का गाया यह गीत भी सुनवाया - कभी नीम नीम कभी शहद शहद

गुरूवार को संगीतकार खैय्याम की फिल्मो के हिट सुपरहिट गीत सुनवाए गए। बाजार की गजल, आहिस्ता आहिस्ता, कभी-कभी फिल्मो के शीर्षक गीत (नज्म), थोड़ी सी बेवफाई और उमराव जान से पुरस्कृत रचना - ये क्या जगह हैं दोस्तों

9:30 बजे आज के फनकार कार्यक्रम प्रसारित किया गया। शुक्रवार को फिल्मकार महबूब खान पर प्रस्तुत किया गया। निजी जीवन के बारे में बताया कि बडौदा में जन्म हुआ और कम उम्र में ही मुम्बई आ गए। बंटवारे के समय देश नही छोड़ा। शुरू में अभिनय किया एक्स्ट्रा की हैसियत से। इम्पीरियल स्टूडियो से शुरूवात की। बाद में निर्देशक बने। 1940 में बनी औरत फिल्म को 1957 में मदर इंडिया के नाम से बनाया और छा गए फिल्म जगत पर। 1952 में आन फिल्म से विश्व सिनेमा में क़दम रखा फिर मदर इंडिया फिल्म से विश्व स्तर पर छवि मजबूत हुई।

मदर इंडिया के सीन सुनवाए। यह भी बताया कि केवल दो फिल्मो को छोड़कर सभी में नौशाद के साथ काम किया। विभिन्न रिकार्डिंग सुनवाई गई जिसमे नादिरा ने उनके बारे में बताया कि कम पढ़े लिखे थे पर आत्म विश्वास से सफल हुए। नौशाद ने भी उन्हें याद किया। बढ़िया शोध और आलेख। इसे राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की प्रस्तुति में सहायक रहे पी के ऐ नायर जी।

शनिवार को राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने प्रस्तुत किया अभिनेता पंकज कपूर को। अह्छी जानकारी दी। रंगमंच पर अभिनय को प्राथमिकता देते हैं। गांधी फिल्म में भूमिका छोटी थी पर गांधी की भूमिका के लिए डबिंग की। नई फिल्मे मैं प्रेम की दीवानी, दस फिल्मो की चर्चा हुई। उनकी प्रायोगिक फिल्म जो नाटक पर आधारित हैं - रूका हुआ फैसला की चर्चा हुई, उनकी रिकार्डिंग के अंश सुनवाए गए जिसमे जाने भी दो यारो फिल्म की चर्चा हुई। कलात्मक फिल्म एक डाक्टर की मौत के साथ धाराविहाको की भी चर्चा हुई - करमचंद, कब तक पुकारूं।

रविवार को खलनायक, हास्य और चरित्र अभिनेता परेश रावल पर कार्यक्रम लेकर आए अमरकांत जी। बहुत सी बाते बताई जैसे उनका जन्म गुजरात में हुआ पर मुम्बई में अधिक रहे। नाटको में काम किया। फिल्मो में अलग-अलग तरह की भूमिकाए की। तमन्ना फिल्म में किन्नर, सरदार पटेल फिल्म में सरदार पटेल की भूमिका के साथ न्याय किया। हंगामा और हेरा फेरी में हास्य भूमिकाए की। उन्हें मिले पुरस्कारों की भी चर्चा हुई। लगता हैं रिकार्डिंग पुरानी हैं क्योंकि उनकी नवीनतम फिल्म अतिथि तुम कब जाओगे की चर्चा नही हुई। इस कार्यक्रम को विजय दीपक छिब्बर जी ने प्रस्तुत किया पी के ऐ नायर जी के सहयोग से।

सोमवार को यह कार्यक्रम समर्पित किया गया संगीतकार अनिल विशवास को। प्रस्तुत किया कमल (शर्मा) जी ने। उनके जीवन से जुड़ी कई बाते बताई जैसे आजादी की लड़ाई में भाग लिया, जेल भी गए और यहाँ सुनवाया यह गीत -

आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा हैं
दूर हटो दूर हटो ऐ दुनिया वालो हिन्दुस्तान हमारा हैं

करिअर की शुरूवात कलकत्ता से हुई, गीत लिखे भी और उन्हें स्वरबद्ध किया। कीर्तन से पहचान बनी। रंगमहल थिएटर में भी काम किया। वह गीत भी सुनवाया जो उन्होंने गाया और उन्ही पर फिल्माया गया - कुछ भी नही भरोसा

उनकी फिल्मो के नाम बताते हुए गानों की झलक सुनवाई जैसे अनोखा प्यार का गीत -

याद रखना चाँद तारो इस सुहानी रात को

उन कलाकारों की भी चर्चा की जिनका करिअर शुरू हुआ अनिल दा की फिल्मो से, फिल्म एक नजर से मुकेश, आरजू से तलत महमूद, दो राहा से साहिर लुधियानवी

यह भी जानकारी मिली कि संगीत में आर्केस्ट्रा उन्ही की देन हैं। बाद के वर्षो में 1963 से 1975 तक अनिल दा आकाशवाणी से जुड़े रहे और वाद्य वृन्द की रचनाएं तैयार की लेकिन यहाँ कुछ सुनवाया नही गया। बढ़िया शोध और आलेख।

मंगलवार को युनूस (खान) जी ने प्रस्तुत किया लेखक, पत्रकार, फिल्मकार ख्वाजा अहमद अब्बास को। उनके जन्मदिन के साथ-साथ साहित्यिक पारिवारिक पृष्ठभूमि की भी जानकारी दी। बताया कि उन्होंने शुरू में बाम्बे टाकीज में काम किया, बंगाल के अकाल पर आधारित फिल्म बनाई धरती के लाल। अपनी फिल्म कम्पनी भी खोली। चेतन आनंद की फिल्म लिखी नीचा नगर। पचास के दशक से राजकपूर की फिल्मे लिखी - आवारा, श्री 420, जागते रहो। फिर लिखी मेरा नाम जोकर जिसकी असफलता से उबरने के लिए बौबी जैसी रोमांटिक फिल्म लिखी। इस बीच उनकी चर्चित फिल्मे रही ग्यारह हजार लड़कियां, सात हिन्दुस्तानी, दो बूँद पानी। पहली बार देश की सरहद के पार के सहयोग से बनी फिल्म भी उन्होंने बनाई - इंडो सोवियत की यह फिल्म हिन्दी में अब्बास साहब ने बनाई और रूसी भाषा में रूसी निर्देशक ने। इसका लोकप्रिय गीत भी सुनवाया - रसिया रे

इन फिल्मो के गीत भी सुनवाए। उनकी रिकार्डिंग भी सुनवाई जिसमे उन्होंने उनकी नरगिस को लेकर बनाई गई फिल्म अनहोनी की चर्चा की। इस फिल्म के बारे में मैंने पहली बार सुना। मुझे अनहोनी नाम से बनी सत्तर के दशक की फिल्म याद हैं जिसमे पागल का किरदार संजीव कुमार ने बखूबी निभाया था जिसमे पद्मा खन्ना भी थी, नायिका शायद लीना चंद्रावरकर थी। लेकिन नरगिस की इस फिल्म के बारे में जानना अच्छा लगा। बढ़िया शोध, आलेख और प्रस्तुति।

बुधवार को कमल (शर्मा) जी ने प्रस्तुत किया फिल्मकार मणिरत्नम को। उस दिन उनका जन्मदिन था। मूल रूप से दक्षिण भारतीय फिल्मकार होने के कारण और बहुत पुराने फिल्मकार न होने के कारण, बताने के लिए जानकारी कम ही रही। उनकी पहली फिल्म बताई मौन रागम जो हिन्दी की नही हैं। रोजा फिल्म से उन्हें हिन्दी फिल्म जगत में ख्याति मिली। यह भी बताया की ऐ आर रहमान जैसी प्रतिभा उन्ही की फिल्म से मिली। निजी जीवन के बारे में बताया, पहले प्रबंध सलाहकार थे। फिल्मी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी बताई। उन्हें मिले पुरस्कारों की भी जानकारी दी। उनकी फिल्मो के गीत भी सुनवाए। फिल्मे कम होने से लगभग आधे गीत वही सुनवाए गए जो इसके ठीक पहले के कार्यक्रम हिटसुपरहिट में सुनवाए थे।

बड़ा अजीब लगा , एक घंटे में दो अलग कार्यक्रमों को एक ही कलाकार पर प्रस्तुत करना और वही बाते और वही गीत सुनवाना। कोई एक कार्यक्रम पर्याप्त था।

गुरूवार को युनूस (खान) जी ने प्रस्तुत किया निर्माता निर्देशक आशुतोष गोविरकर पर यह कार्यक्रम। उस दिन उनका जन्म दिन था। कार्यक्रम सुन कर ऐसा लगा किसी कार्यक्रम के लिए उनसे की गई बातचीत में से अंश निकाल कर उनकी फिल्मो के गीतों के साथ यहाँ सुनवा दिया गया। उन्होंने अपनी पढाई के समय की बाते बताई, बचपन में किए गए दूरदर्शन के एक नाटक में छोटे से रोल और कालेज के दिनों के नाटको की बात की। शुरूवाती फिल्मो की असफलता से सबक ले कर फिल्म लगान के लिए लिखी गई कहानी की चर्चा की। स्वदेश को आशा के अनुसार नही मिली सफलता की भी चर्चा हुई।

हर दिन यह कार्यक्रम सुनना अच्छा नही लग रहा है, विविधता होनी चाहिए।

एक शिकायत हैं। पूरे सप्ताह में इन दोनों कार्यक्रमों में हर दिन एक-एक कलाकार को प्रस्तुत किया गया यानी कुल 14 कलाकार। एक दिन एक ही फिल्मकार को दोनों कार्यक्रमों में प्रस्तुत किया गया (कुल 13 कलाकार), सभी पुरूष कलाकार। 13 में से एक भी महिला कलाकार नही ?

10 बजे का समय छाया गीत का होता है। कार्यक्रम शुरू करने से पहले कभी-कभार अगले दिन प्रसारित होने वाले कुछ मुख्य कार्यक्रमों के बारे में बताया गया।

शुक्रवार को प्रस्तुत किया कमल (शर्मा) जी ने। प्यार के अहसास की चर्चा करते हुए विभिन्न मूड के गीत सुनवाए। शुरूवात की पत्थर के सनम फिल्म के गीत से -

कोई नही हैं फिर भी हैं मुझको न जाने किसका इन्तेजार

अनपढ़ का गीत भी शामिल था - आपकी नजरो ने समझा प्यार के काबिल मुझे

और वक़्त फिल्म का यह गीत भी - चहरे पे खुशी छा जाती हैं

बढ़िया प्रस्तुति और गीत।

शनिवार को प्रस्तुत किया अशोक जी ने। मोहब्बत की दीवानगी की चर्चा चली। कुछ कम सुने गीत शामिल थे और कुछ उदास गीत। इस बार की प्रस्तुति से निराश किया।

रविवार को प्रस्तुत किया युनूस (खान) जी ने, पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए, ऐसे गीत अधिक शामिल थे जो बहुत कम सुनवाए जाते हैं और समापन का अंदाज हमेशा की तरह बढ़िया रहा जिसमे गानों की झलक के साथ विवरण बताया जाता है। फिर भी कार्यक्रम सुस्त रहा। ऐसे गीत भूले बिसरे कार्यक्रम में अच्छे लगते हैं लेकिन रात के इस कार्यक्रम में सुनना ऊबाऊ लगता हैं।

सोमवार को अमरकान्त जी ने प्यार की शुरूवात की बात की - जब प्यार होता हैं तो जिन्दगी की नई शुरूवात होती हैं। शुरूवाती गाना भी खूब उचित सुनवाया, आराधना फिल्म से -

कोरा कागज़ था ये मन मेरा लिख दिया नाम इसपे तेरा

प्यार के बड़े अच्छे गीत सुनवाए - रामपुर का लक्ष्मण, दीवार, जोशीला और पड़ोसन का कहना हैं गीत भी शामिल था। हमेशा की तरह बढ़िया प्रस्तुति।

मंगलवार को प्रस्तुत किया निम्मी (मिश्रा) जी ने। बाते तो प्यार की हुई पर सुस्ती छाई रही।

मेरी समझ में गीतों के चुनाव में प्रसारण समय का भी ध्यान रखा जाना चाहिए, यह सप्ताह का तीसरा सुस्त दिन रहा इस कार्यक्रम का।

बुधवार को प्रस्तुत किया राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने। अच्छे गीत सुनवाए - मुकद्दर का सिकंदर, कसमे वादे, बरसात की एक रात फिल्मो के गीत और ये गीत -

कबके बिछुड़े हुए हम आज यहाँ आके मिले

प्रस्तुति का काव्यात्मक अंदाज अच्छा रहा।

गुरूवार को रेणु (बंसल) जी ने अच्छी रोमांटिक शायराना प्रस्तुति दी। अच्छे गीत सुनवाए, नए गाने भी थे 1942 अ लव स्टोरी फिल्म से और यह गीत - तुम्हे जो मैंने देखा

पुरानी फिल्म एक नजर का भी गीत सुनवाया - पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने हैं

10:30 बजे प्रसारित हुआ आपकी फ़रमाइश कार्यक्रम जो प्रायोजित था इसीलिए प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए। इसमें श्रोताओं ने पुराने लोकप्रिय गीत सुनने की फ़रमाइश अधिक की। शुक्रवार को शुरूवात हुई शबनम फिल्म के गीत से -

ये तेरी सादगी ये तेरा बांकपन

शहनाई, नौ दो ग्यारह, हरियाली और रास्ता फिल्मो के गीतों के साथ मन्नाडे का गाया दिल ही तो हैं फिल्म का यह गीत भी सुनवाया गया - लागा चुनरी में दाग

शनिवार को सभी गीत पुरानी फिल्मो से सुनवाए गए - मुगले आजम, मदारी, नमस्ते जी, भरोसा पर समापन किया सत्तर के दशक की फिल्म कोरा कागज़ के रूठे रूठे पिया गीत से।

रविवार को ब्लैक मेल फिल्म का गीत सत्तर के दशक का रहा और सभी गीत पुरानी फिल्मो के रहे - मधुमति, ममता, बहार, काली टोपी लाल रूमाल फिल्मो से और यह गीत भी सुनवाया गया -

जादूगर सैंय्या छोडो मोरी बैंय्या

सोमवार को पुरानी फिल्म एक झलक, पेइंग गेस्ट के साथ थोड़ा आगे की फिल्मे सरस्वती चन्द्र, इश्क पर जोर नही और गाइड फिल्म का यह गीत भी सुनवाया गया - गाता रहे मेरा दिल

मंगलवार को शुरूवात हुई बाप रे बाप फिल्म के गीत से जिसके बाद लाजवंती, महबूब की मेहंदी, फिर वही दिल लाया हूँ फिल्मो के गीतों के साथ ये गीत भी शामिल था -

सिमटी हुई ये घडिया फिर से न बिखर जाए

बुधवार को एकदम पुराने नही पर थोड़ा आगे के समय के गीत सुनवाए गए इन फिल्मो से - प्यासा सावन, पगला कहीं का, कर्ज और इस नए गीत को सुनने के लिए भी मेल आए -

तौबा तुम्हारे ये इशारे

गुरूवार को श्रोताओं के ईमेल के अनुसार बहुत पुरानी, पुरानी और बाद के समय के फिल्मी गीत सुनवाए गए - घराना, मिस्टर एक्स इन बॉम्बे, चोरी-चोरी, बगावत और हरे रामा हरे कृष्णा का यह गीत -

फूलो का तारो का सबका कहना हैं

बुधवार और गुरूवार को ईमेल से प्राप्त फ़रमाइशें पूरी की जाती है अन्य दिन पत्र देखे जाते है। देश के अलग-अलग भागों से बहुत से पत्रों से गानों की फ़रमाइश भेजी गई और हर पत्र में भी बहुत से नाम रहे जबकि ई-मेल की संख्या कम ही रही।

प्रसारण के दौरान अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया। इकाध बार क्षेत्रीय विज्ञापन भी प्रसारित हुए।

11 बजे अगले दिन के मुख्य कार्यक्रमों की जानकारी दी जो केन्द्रीय सेवा से ही दी गई जिससे केन्द्रीय सेवा के उन कार्यक्रमों की भी सूचना मिली जो क्षेत्रीय कार्यक्रमों के कारण यहाँ प्रसारित नही होते। 11:05 पर दिल्ली से प्रसारित 5 मिनट के समाचार बुलेटिन के बाद प्रसारण समाप्त होता रहा।

Wednesday, June 2, 2010

रेडियो श्री लंका और फिल्मी धूने

रेडियो श्री लंका हर मंगलवार अपने सुबह के 8 से 8.30 तक के प्रसारणमें पहली 15 मिनीटमें प्रायोजित क्रिश्च्यन कार्यक्रम प्रसारित करता है और बाकी बची 15 मिनीटमें पिछले के पिछले मंगलवार तक फिल्म संगीत प्रसारित करता आया था । तब मैनें उद्दघोषिका श्रीमती ज्योति परमारजीसे फोन पर सुचन किया था कि कितने सालों से उनका फिल्मी धूनों का नियमीत कार्यक्रम सुबह 6 बजे से 6.05 तक और गुरुवार तथा शुक्रवार सुबह 6.15 तक आता है वह शायद ही किसी दिन पकडमें आता है, जो हवामान के आधार पर है । तो वे लोग मंगल वार को सुबह 8.15 पर जो फिल्म संगीत करीब करीब 1965 के बाद के ही होते है और अन्य रेडियो और टी वी चेनल्स पर भी मिल पाते है तो उनकी जगह फिल्मी धूने जो एलपी के बजाय 45 आरपीएम और 78 आरपीएम रेकोर्ड्झ में और सिर्फ़ रेडियो श्रीलंकाकी लायब्रेरीमें कैद हुआ है तो उनको क्यों श्रोताओं तक पहोंचाया नहीं जाय ! तो उन्होंनें जवाब दिया कि श्रोतालोगो के रिस्पोंस और मांग के आधार पर ही यह किया जा सकता है । फ़िर मैंनें कहा कि श्रोता लोगो की यादोंमें अगर साझ और वादक कलाकारों के नाम गानों के शुरूके बोलों के साथ याद नहीं रहते और इसी कारण अपना प्रतिभाव मेरी तराह नहीं दे पाते तो इसका मतलब यह नहीं कि वे उनको नापसंद करते है । बादमें मैं जो भारतके श्रोता मेरी सुचना के आघार पर वादक कलाकारों के बारेमें जो भी बधाई या श्रद्धांजली के छोटे छोटे या पूरे कार्यक्रमों को सुनकर मेरा सम्पर्क करके प्रतिभाव देते आये थे उनसे फोन या ई-मे -ईल द्वारा सम्पर्क कर के मेरे सुचनको उन सब के द्वारा बार बार यही बात कहलवाई या लिख़वायी तो इस के नतीजे से बिते हुए कलसे सुबह 8.15 से फिल्मी धूनों का एक अतिरीक्त साप्ताहीक कार्यक्रम शुरू हुआ, जिसमें कल (1) साझ क्लेवायोलीन पर स्व. कल्याणजी (आणंदजी ) वीरजी शाह की बजाई फिल्म चोरी चोरी के गीत आ जा सनम की घून (78 आरपीएम (2) हार्मोनियम पर श्री इश्वरीलाल नेपाली की बजाई फिल्म हमलोग की धून सुन सुन सुन बाजे पायल (78 आरपीएम (3) श्री एनोक डेनियेल्स की पियानो एकोर्डियन पर फिल्म वो कोन थी की धून नैना बरसे (4) और मास्टर (इब्राहीम) अजमेरी की फिल्म मोर्डन गर्ल की धून ये मौसम रंगीन शमा (78 आर पी एम से ) सुनवाई । इस लिये रेडियो श्री लंका बधाई के पात्र है ।
दूसरी और अभी 31 मई के पत्रावलीमें किसी श्रोता के फिल्म बरसातकी रात के 78 आरपीएम में फसे एक गाने को याद दिलवाया तब श्री कमल शर्माजीनें कहा की विविध भारती अकेला 78 आरपीएम बजाने वाला रेडियो चेनल है, जब की एसएलबीसी ज्यादातर 78 आरपीएम ही बजाता है । और विविध भारती के लिये जबकी फिल्म संगीत के बारेमें यह बात 78 आरपीएम वाली एक जगह सही है तब फिल्मी धूनों के सम्बंधमें यह बिलकूल गलत हो गई है जब से यानि 2002 से साझ और आवाझ कार्यक्रम बंध हुआ है तब से । एक बार मेरे ही पत्र के जवाबमें श्री महेन्द्र मोदी साहबने ऐसा बहाना बनाया था कि 78 और 45 आरपीएम रेकोर्डझ घीस गये है और बजाने लायक नहीं रहे है तो मूझे तबसे यह सवाल मनमें हो रहा है कि गानों के 78 आरपीएम रेकोर्डझ पूरे दिन के कार्यक्रममें बजते रहे है वे घीसने की सम्भवना ज्यादा है या दिन में सिर्फ 5 से 15 मिनीट की समयावधीमें ही स्थान पाने वाले इतने सारे फिल्मी धूनों के रेकोर्ड्झ घीस जाने की सम्भवनाएं ज़्यादा है ? पिघाली मई की 6 तारीख़ को प्रसारित श्री अशोक सोनावणे जी के साथ हल्लो फरमाईशमें इनमें से काफ़ी बात कहने का मोका मिला था और उनका तथा श्री महादेव जगदाले साहब और तेजश्री शेठी और श्री रमेश गोखलेजी का मैं आभारी हूँ , कि मेरी बातचीत को काफ़ी हद तक स्थान दिया । हाँ कुछ अंश कटे जरूर थे जो मूझे ख़ास लगते थे पर समय की पाबंदी के हिसाबसे मूझे काफ़ी कवरेज दिया गया था । वह रेकोर्डिंग अन्नपूर्णा जी नें शायद सुनी होगी । यह अपलॉडींग की समस्या के कारण अभी रख़ नहीं पाता हूँ ।
पियुष महेता ।
सुरत ।

Tuesday, June 1, 2010

फिल्म हार जीत का गीत

1972 के आसपास राधा सलूजा की एक फिल्म आई थी - लाखो में एक

यह फिल्म बहुत लोकप्रिय रही। इसमे नायक हैं महमूद। इस फिल्म के गीत हम अब भी विविध भारती पर सुनते हैं। इसी फिल्म के आसपास राधा सलूजा की एक और फिल्म रिलीज हुई थी - हार जीत

इस फिल्म में दूसरी नायिका हैं रेहाना सुल्ताना। प्रेम त्रिकोण पर आधारित इस फिल्म के नायक के बारे में पता नही, शायद महमूद ही हैं। इस फिल्म में दोनों नायिकाओं पर फिल्माया गया एक गीत बहुत लोकप्रिय हुआ था और रेडियो के विभिन्न केन्द्रों से बहुत सुनवाया जाता था।

इस गीत के बोल मुझे याद नही आ रहे हैं और यह भी याद नही कि इसे एक गायिका ने गाया हैं या दो गायिकाओ ने।

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

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