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Friday, April 24, 2009

साप्ताहिकी 24-4-09

सप्ताह भर सुबह 6 बजे समाचार के बाद चितन में अम्बेडकर, गौतम बुद्ध, स्वामी विवेकानन्द के विचार बताए गए। सप्ताह भर भजन भी अच्छे सुनवाए गए। रविवार को शास्त्रीयता का पुट लिए भजन अच्छे लगे जिसमें कबीर की रचना भी थी। कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा जिसके लिए विवरण कभी नहीं बताया गया।

7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम इस सप्ताह भी अच्छा रहा। सप्ताह भर लोकप्रिय गीतों जैसे सुरैया का गाया शमा फ़िल्म का यह गीत -

धड़कते दिल की तमन्ना हो मेरा प्यार हो तुम

के साथ ऐसे गीत भी सुनवाए गए जो बहुत ही कम सुने गए जैसे शहनाई फ़िल्म का अमीरबाई कर्नाटकी का गाया गीत। कार्यक्रम का समापन परम्परा के अनुसार के एल (कुन्दनलाल) सहगल के गाए गीतों से होता रहा।

7:30 बजे संगीत सरिता में इस समय चल रही श्रृंखला में ऐसे रागों की चर्चा की जा रही है जिसमें दोनों निशाथ स्वर लगते है, इसे प्रस्तुत कर रहे है प्रसिद्ध सितार वादक शमीम अहमद खाँ साहब। चर्चा में रहे राग वृन्दावनी सारंग, ख़माज, तानसेन द्वारा तैयार मियाँ मल्हार और बड़ा माने जाना वाला राग जयजयवन्ती। आलाप और गतें भी सुनवाई गई। वादन और फ़िल्मी गीत भी इन रागों पर आधारित सुनवाए जा रहे है।

7:45 को त्रिवेणी में ज़िन्दगी के सफ़र की, घर बनाने की बातें हुई और संबंधित गीत सुनवाए गए। कुछ अंक दुबारा प्रसारित हुए।

दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में शनिवार को अमरकान्त जी लाए आँधी, चरस जैसी लोकप्रिय फ़िल्में सोमवार को सलमा जी धूम, अफ़सर जैसी नई और राजा जैसी कुछ पुरानी फ़िल्में लेकत आईं। मंगलवार को कमल (शर्मा) जी लाए सागर, किस्मत, चलते-चलते, शागिर्द जैसी सदाबहार फ़िल्में। बुधवार को आईं मंजू जी और ले आईं कुछ लोकप्रिय फ़िल्में जिनमें से श्रोताओं ने इन फ़िल्मों के गीतों के लिए संदेश भेजे - बातों बातों में, नूरी, बाँबी, लावारिस, शान। गुरूवार को सलमा जी ले आई दिल, जो जीता वही सिकन्दर, राजा जैसी फ़िल्में। हर दिन श्रोताओं ने भी इन फ़िल्मों के लोकप्रिय गीतों के लिए संदेश भेजें।

1:00 बजे म्यूज़िक मसाला कार्यक्रम में यह सुनना अच्छा लगा -

बन्नो तेरी अँखियाँ सूरमेदानी

इसके अलावा फ़ाल्गुनी पारिख़ को भी सुनना अच्छा लगा -

सजना तू न जा छोड़ के मुझे छोड़ के तू न जा

1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में हर दिन मिले-जुले गीत सुनवाए गए जैसे गोपी फ़िल्म का दिलीप कुमार और सायरा बानू पर फ़िल्माया गया यह मज़ेदार गीत -

जैंटलमैन जैंटलमैन जैंटलमैन
मैं हूँ बाबू जैंटलमैन
लन्दन से आया हूँ मैं बनठन के

और नई फिल्म तेरे नाम का हिमेश रेशमिया का स्वरबद्ध किया यह गीत -

तुमसे मिलकर बातें करना बड़ा अच्छा लगता है

3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की शहनाज़ (अख़्तरी) जी ने। देश के विभिन्न राज्यों से सखियों ने फोन किए। इस बार ज्यादातर लडकियों के फोन आए। छुट्टियाँ है, शायद इसीलिए। अपने-अपने शहर के बारे में हल्की सी जानकारी दी जिसमें से कोई विशेष स्थान के बारे में जानकारी नहीं मिली। उनके पसंदीदा गीत भी औसत ही रहे।

सोमवार को पोहे के टिक्के और ख़मीरा आटे के मालपुए बनाना बताया गया। दोनों व्यंजन अच्छे थे और बनाना भी आसान है। मंगलवार को करिअर संबंधी जानकारी में पशु चिकित्सक बनने के बारे में जानकारी दी गई और युवा वर्ग के पसंदीदा नए गाने सुनवाए गए। बुधवार को सौन्दर्य और स्वास्थ्य पर चर्चा में गरमी में सुरक्षा के उपाय बताए गए। गुरूवार को सफल महिलाओं के बारें में बताया जाता है, इस बार इतिहास के पन्नों से चित्तौड़ की रानी पद्मिनी क बारें में जानकारी दी गई। सखियों ने नए पुराने अच्छे गीतों की फ़रमाइश की जैसे मिस्टर और मिसेज 55 फ़िल्म का गीत -

जाने कहाँ मेरा जिगर गया जी
अभी अभी इधर था किधर गया जी

और नई फ़िल्म दिल्ली 6 का प्रसून जोशी का लिखा यह गीत -

सैंया छेड़ देवे ननद चुटकी लेवे
ससुराल गेंदा फूल
सास गाली देवे देवरजी समझा लेवे
ससुराल गेंदा फूल

शनिवार और रविवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में सदाबहार गीत सुनवाए गए जैसे गर्ल फ़्रेंड फ़िल्म का किशोर कुमार और सुधा मल्होत्रा का गाया यह गीत -

कश्ती का ख़ामोश सफ़र है शाम भी है तन्हाई भी
दूर किनारे पर बजती है लहरों की शहनाई भी
आज मुझे कुछ कहना है

3:30 बजे शनिवार को नाट्य तरंग में नाटक सुनवाया गया - एक टोकरी भर मिट्टी जिसके मूल लेखक है माधव राव सप्रे और निर्देशक है विजय दीपक छिब्बर। यह नहीं बताया गया कि मूल किस भाषा का है यह नाटक।

शाम 4 बजे रविवार को यूथ एक्सप्रेस में केरल की सैर करवाई गई, किताबों की दुनिया स्तम्भ में साहित्यकार विष्णु प्रभाकर को श्रृद्धांजलि दी गई, उनके जीवन और साहिय के बारे में बताया गया, विभिन्न पाठयक्रमों में प्रवेश की सूचना दी गई, बहुत अच्छा लगा हरिवंशराय बच्चन से लोकगीत सुनना। स्तरीय रही यह कड़ी। बधाई यूनूस जी !

पिटारा में शुक्रवार को पिटारे में पिटारा कार्यक्रम में कानून विशेषज्ञ वसुन्धरा देशपाण्डेय से सखि-सहेली कार्यक्रम के लिए की गई बातचीत का प्रसारण किया गया। कांचन (प्रकाश संगीत) जी द्वारा प्रस्तुत यह बहुत अच्छी जानकारी देने वाली बातचीत है जिसमें बताया गया कि तलाक़ के बाद पत्नी को अपना घर अपने नाम पर करवाने के लिए किन-किन अडचनो का सामना करना पडता है।

पिटारा में सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में डा नीलम रेड़करे से राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने गर्भावस्था की समस्याओं पर बातचीत की। विस्तृत जानकारी मिली कि गर्भाधान के समय रक्त की कमी हो जाती है, पालक में आयरन होता है और इस तरह आयरन युक्त आहार लेना चाहिए। इस तरह आरंभिक देखभाल से लेकर सभी समस्याओं पर चर्चा की गई। बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में अभिनेता गुलशन ग्रोवर से ममता (सिंह) जी की बातचीत की दूसरी और अंतिम कड़ी सुनवाई गई जिसमें अभिनेता ने अपनी कुछ नई फ़िल्मों की चर्चा की, यह भी बताया कि कुछ अच्छे भले व्यक्तियों की भूमिकाएँ भी की है। शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई और उनकी पसन्द के गीत सुनवाए गए। शनिवार को शहनाज़ (अख़्तरी) जी से बात करते हुए एक श्रोता ने वन्दना फ़िल्म के गीत की फ़रमाइश की तो बहुत अच्छा लगा, क्योंकि यह अच्छा सा गीत बहुत दिन से श्रोता भुला से बैठे थे -

आपकी इनायतें आपके करम
आप ही बताए कैसे भूलेंगे हम

5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद फ़िल्मी हंगामा में नई फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए जैसे ओ बेबी, टैक्सी नम्बर 9211

7 बजे जयमाला में नए पुराने गीत सुनवाए गए जिसमें अभिलाषा फ़िल्म के इस युगल गीत की बहुत दिन बाद फ़रमाइश की फ़ौजी भाइयों ने -

प्यार हुआ है जबसे मुझको नहीं चैन आता

शनिवार को विशेष जयमाला निर्माता निर्देशक शक्ति सामन्त को समर्पित किया गया। शक्ति सामन्त द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम का दुबारा प्रसारण किया गया जिसमें कुछ और कलाकारों को भी याद किया गया जैसे संजीव कुमार, मुकेश। अपनी फ़िल्मों के बारे में भी बताया। अच्छी प्रस्तुति रही।

7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में छत्तीसगढी, अवधी और पूर्वी गीत सुनवाए गए जिसमें अवधी गीत अच्छा लगा। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में निम्मी (मिश्रा) जी के साथ बहुत दिन बाद तशरीफ़ लाए महेन्द्र मोदी जी। ठीक से न सुन पाने की तकनीकी शिकायते थी जिसका स्पष्ट जवाब दिया मोदी साहब ने कि पहले मध्यम तरंगे (मीडियम वेव) थी पर अब की एफ़ एम तरंगे दूर तक तो जाती है पर वातावरण के शोर से प्रभावित होती है इसीलिए प्रसारण स्पष्ट नहीं हो पाता। पर अब भी थोड़ा और स्पष्ट नहीं हुआ कि क्यों डीटीएच से साफ़ प्रसारण होता है। इसके अलावा कुछ कार्यक्रमों की तारीफ़ तो कुछ पुराने कार्यक्रमों को फिर से शुरू करने का अनुरोध किया श्रोताओं ने। मंगलवार को सुनवाई गई फ़िल्मी क़व्वालियाँ। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने जैसे राग बिलावल पर आधारित ज्वैल थीफ़ फ़िल्म का किशोर कुमार का गाया गीत -

ये दिल न होता बेचारा क़दम न होते आवारा
तो ख़ूबसूरत कोई अपना हमसफ़र होता

8 बजे हवामहल में सुना हास्य नाटक तुम्हारे लिए, नाटिका - चाय काफ़ी ठंडा पानी (निर्देशक मुख़्तार अहमद) यह नाटिका अच्छी लगी, इससे पता चला कि कुछ वर्ष पूर्व लड़कियाँ किस तरह से आपस में अपने विवाह के संबंध में चर्चा कर चिंतित रहती थी क्योंकि तब भी वो आसानी से स्वतंत्र निर्णय आज की तरह नहीं ले पाती थी।

9 बजे गुलदस्ता में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई।

9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में नूरी, हमराज़, तीसरी मंज़िल जैसी लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।

रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में गीतकार नक्शलायल पुरी से कमल (शर्मा) जी की बातचीत प्रसारित हो रही है। इसकी छठी कड़ी सुनी जिसमें साथी संगीतकार मदन मोहन के साथ काम करने के अनुभव बताए गए। केवल दो ही फ़िल्में की - प्रभात और दिल की राहें और एक फ़िल्म रिलीज़ नहीं हुई। यह भी बताया गया कि मदन मोहन जी के संगीत संयोजन के साथ आवश्यकता होने पर बोल बदलने पड़ते।

10 बजे छाया गीत में सप्ताह भर साठ सत्तर के दशक के अच्छे गाने सुनने को मिले और ऐसे ही गीत जारी रहे श्रोताओं की फ़रमाइश पर 10:30 बजे आपकी फ़रमाइश कार्यक्रम में।

2 comments:

अखिलेश शुक्ल said...

प्रिय मित्र,
आपकी रवनाएं पठनीय व संग्रह योग्य हैं। मैं एक साहित्यिक पत्रिका का संपादक हूं। आप चाहे तो अपनी रचनाओं को प्रकाशन के लिए भेज सकते हैं। मेरे ब्लाग पर अवश्य ही विजिट करें।
अखिलेश शुक्ल्
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PIYUSH MEHTA-SURAT said...

अन्नपूर्णाजी,
एफ एम तरंगे दूर तक नहीं पर बहोत ही मर्यादीत अन्तर तक जाती है । लधू तरंग का जिक्र शोर्ट वेव दूर तक जानेवाली तरंग के रूपमें किया गया था । जो विविध भारती के लिये बेंगलोर से किया जाता है । पर डीटीएच के लिये विविध भारती सेवा मुम्बई ख़ूद अपलिन्क करती है । और उपग्रह से वे डाउन लिन्क हो कर सभी केन्दो, जैसे विज्ञापन प्रसारण सेवा के सभी स्थानिय एफ एम और मध्यम तरंग (जिसमें विज्ञापन प्रसारण सेवा का मुम्बई केन्द्र भी शामिल है), अपनी अपनी सेटेलाईट रिसीविंग डिस और सिस्टम से ले कर अपने अपने ट्रांसमीटर से अपने स्थानिय परिवर्तन के साथ प्रसारित करते है । आज ऐसी परिस्थिती है, कि अगर कार्यक्रम अपलिन्क हो रहा हो पर बेन्गलोर के ट्रांस्मीटर में कोई विजली या तकनीकी ख़ामी आयी तो विविध भारती सेवा को उसका पता देर से चलता है या श्रोता लोग से चलता है तो अलग बात है पर तूर्त जो चलता ही नहीं है ।
पियुष महेता-सुरत

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