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Saturday, February 28, 2009

केन्द्रीय विविध भारती सेवा और फ़िल्मी साझ संगीत

श्री मोदी साहब और निम्मीजी,

नमस्कार । ता. 23-02-09 के पत्रावली कार्यक्रममें मेरे सुचन के सिर्फ़ शुरूआती अंश को पढ़ा गया । पर मैने 15 मिनिट के स्थान पर अगर न हो पाये तो सिर्फ 5 मिनिट के रोज़ाना या 30 मिनिट के हप्तावार फिल्मी धूनों के कार्यक्रम के लिये वैकल्पीक सुचन किये ही थे, जो आप के बार बार गीनी चुनी धूनों के रिपीटेशन ख़तरे को कम करेगा । वैसे भी आप के पास वो पूरानी धूनों का हकीकतमें इतना ज़बरजस्त संग्रह है कि अगर 15 मिनिट के दैनिक कार्यक्रममें भी अगर आप एक ओर से शुरू करे तो शायद ही कोई धून एक सालमें भी पुन: बजा पाये । और हम जैसे श्रोता लोग वैसी पूराने गानो की पूरानी धूनों को सुनने तरस रहे है । और वही बात उस पत्रावलि को सुन कर राजकोट के भूपेन्द्र सोनी जी ने मूझे फोन करके बताई थी । उदाहरण के तोर पर श्री एनोक डेनियेल्स की बजाई फिल्म मिलन के गीत हम तूम युग युग से ये गीत मिलन के वाले गीत की धून को प्रस्तूत हुए 35 साल हुए । हाँ शम्मी रूबीन की एलेक्ट्रीक ओरगन (ट्रीब्यूट टू मूकेश) पर और चरणजीत सिंह की ट्रांसीकोर्ड पर (वन मेन शॉ) समय समय पर प्रस्तूत होती है । इस तरह के असंख्य उदाहरण है ।

अन्य सुचन फ़िर कभी ।

पियुष महेता ।

नानपूरा, सुरत ।

PIYUSH MEHTA-NANPURA-SURAT

Friday, February 27, 2009

साप्ताहिकी 26-2-09

सप्ताह भर सुबह 6 बजे समाचार के बाद चितन में मनीषियों, वेदान्तकारों और साहित्यकारों के विचार बताए गए। सोमवार को शिवरात्री थी पर वन्दनवार में शुरूवात हुई कृष्ण भजन से जिसके बाद राम और हनुमान के भजन सुनवाए गए पर एक भी शिवभक्ति गीत नहीं सुनवाया गया जबकि रविवार को शिवभक्ति गीत सुनवाए गए लगा विविध भारती ने रविवार को ही शिवरात्री मना ली। हर दिन कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा जिसमें रविवार को सुनवाया गया देशगान नया लगा पर विवरण नहीं बताया गया। गुरूवार को शैलेन्द्र का लिखा और कनु घोष का स्वरबद्ध किया यह लोकप्रिय देशगान सुनवाया गया -

वह सावधान आया तूफ़ान अब दूर नहीं किनारा

पर गायक कलाकार का नाम नहीं बताया गया, यह गीत महेन्द्र कपूर ने साथियों के साथ गाया है।


7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम इस सप्ताह भी अच्छा रहा। कुछ लोकप्रिय गीतों के साथ ऐसे गीत सुनवाए गए जो बहुत ही कम सुने गए जैसे झुमरू फ़िल्म का गीत। अक्सर किशोर कुमार का ही गीत सुनवाया जाता है पर इस बार का कोरस शायद ही पहले सुना है। इसी तरह बाबुल फ़िल्म का भी एक गीत सुनवाया गया।

7:30 बजे संगीत सरिता में श्रृंखला ठुमक चली ठुमरी जारी रही जिसमें आमंत्रित कलाकार है माधुरी ओक और शरद सुतवड़े (शायद नाम लिखने में ग़लती हो) शोध और आलेख विश्वनाथ ओक जी का है। ठुमरी की दूसरे गायन शैली जैसे धुपद आदि से अंतर इस सप्ताह स्पष्ट किया गया। बताया गया कि ध्रुपद में विलंबित ताल होती है जबकि ठुमरी में झप ताल होती है। ठुमरी सभी रागों में भी नहीं गाई जाती, कुछ रागों में गाई जाती है जैसे राग पीलू। श्रृंगार रस ठुमरियाँ अधिक होती है। इस तरह कई समानताएँ होते हुए भी अंतर है। विभिन्न घरानों की ठुमरी की भी चर्चा हुई। बताया गया कि बनारस के घराने की ठुमरी में शब्द अधिक मनोरंजक होते है। ग़ैर फ़िल्मी और फ़िल्मी ठुमरियाँ गाकर सुनाई गई जिसके लिए हारमोनियम पर संगत की विश्वनाथ ओक जी और तबले पर संगत की सूर्याक्ष देशपाण्डेय जी ने। इससे यह भी पता चला कि किस तरह मूल ठुमरी को तोड़-मरोड़ कर फ़िल्म में प्रस्तुत किया जाता है जैसे -

एक चतुरनार करके सिंगार


इसे हास्य रूप में फ़िल्म पड़ोसन में प्रस्तुत किया गया।


7:45 को त्रिवेणी में शुक्रवार को एक ओर आलेख अच्छा रहा दूसरी ओर गीत भी अच्छे रहे पर एक दूसरे से मैच नहीं कर रहे थे, आलेख में घुमक्कड़ स्वभाव यानि घूमने फिरने की आदत यानि पर्यटन की बात हुई और गीत जीवन के सफ़र के चुने गए जैसे अंदाज़ फ़िल्म का गीत -

ज़िन्दगी एक सफ़र है सुहाना

पर रविवार की दोस्ती पर त्रिवेणी अच्छी लगी और गुरूवार को सपने सच करने की जद्दोजहद की बात हुई जिसमें आलेख, गीतों का चुनाव, सुनवाने का क्रम सभी एकदम पर्फ़ैक्ट। अब ऐसे में विविध भारती की तरफ़ से यही कह सकते है - प्रभु जी मेरे अवगुन चित्त न धरो !


दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में शुक्रवार को आए कमल (शर्मा) जी, फ़िल्में रही स्वामी, अभिमान, दूसरा आदमी, बाज़ार। शनिवार को पधारी रेणु (बंसल) जी फ़िल्में रही फासले, इज्ज़त, बिच्छू। सोमवार को कमल (शर्मा) जी ले आए फ़िल्में हम आपके है कौन, लव स्टोरी, मैनें प्यार किया, ग़ुलामी, सड़क, दिल है कि मानता नहीं। इस दिन न रहमान को बधाई दी गई और न ही हिन्दी फ़िल्म इंड्स्ट्री को आँस्कर पाने पर। मंगलवार को पधारी निम्मी (मिश्रा) जी फ़िल्में रही अनीता, मिलन, दो रास्ते, राजा और रंक, जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली, अधिकार जैसी लोकप्रिय फ़िल्मे। बुधवार को अशोक जी लाए लोकप्रिय फ़िल्में हकीकत, इज्ज़त, ग़मन, काजल, आमने-सामने। गुरूवार को कमल (शर्मा) जी ले आए फ़िल्में दूर का राही, बरसात की रात, धूल का फूल

अनीता फ़िल्म का मुकेश का गाया और मनोज कुमार पर फ़िल्माया यह गीत बहुत दिन बाद सुनने को मिला -


तुम बिन जीवन कैसे बीता पूछो मेरे दिल से


1:00 बजे म्यूज़िक मसाला कार्यक्रम में सोमवार को लगा था ए आर रहमान के संगीत से शुरूवात होगी पर एलबम रात से नवाब आरज़ू का लिखा यह गीत अनुराधा पौड़वाल और बाबुल सुप्रियो की आवाज़ों में सुनवाया गया -


प्यार तुमसे करते है हम आज ये मालूम हुआ

जी ना सकेगें बिन तेरे हम आज ये मालूम हुआ

1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में मिले-जुले गीत सुनवाए गए, साठ सत्तर के दशक की फ़िल्मों के गीत और अस्सी के दशक के भी गीत जैसे बेटा फ़िल्म का यह गीत -

धक -धक करने लगा ओ मोरा जियरा डरने लगा

और नई फ़िल्मों जैसे कृष के गीत भी सुनवाए गए।

3 बजे सखि सहेली में शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की शहनाज़ (अख़्तरी) जी ने। मुज्ज़फ़रपुर से छात्रा ने बताया कि वहाँ अब गर्मी शुरू होने लगी है, वहाँ की लीचियाँ मशहूर है। युवा लड़की ने गुजरात से फोन किया जो हीरे तराशने का काम करती है। सिर्फ़ इतना ही बताया कि हीरे मशीन से तराशे जाते है जिसकी उसे ट्रेनिंग मिली है और पगार बताई, काम से जुड़ी और भी बातें हो सकती थी ऐसा मैं सोच ही रही थी कि हैदराबाद से एक काल आया जो कामर्स की छात्रा ने किया। पूछने पर भी वो अधिक नहीं बता पाई। इतना ही कहा कि चारमीनार के पास लाड़ बाज़ार में चूड़िया मिलती है जो प्रसिद्ध है पर यह नहीं बताया कि यह विश्व प्रसिद्ध है जिसके लिए यहाँ अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी भी लगती है। हालांकि शहनाज़ जी ने पूछा कंगन के बारे में तब भी नहीं श्रोता सखि नहीं बता पाई, शहनाज़ जी यहाँ कंगन को गोट कहते है इसमें भीतर लाख़ होता है और बाहर रंग-बिरंगे नग जड़े होते है। अब यही तो होता है कि श्रोताओं को फोन करने का शौक है पर इस अवसर का लाभ लेकर अपने शहर के बारे में पूछने पर भी नहीं बता पाते है।


सोमवार को महाशिवरात्री जोर-शोर से मनाई गई। व्रत के व्यंजन जैसे आलू की खिचड़ी, ठंडई बनाना बताया गया जो अच्छा लगा। मंगलवार को करिअर संबंधी जानकारी में चाटर्ड एकाउन्टेन्सी के बारे में जानकारी दी गई। इस काम के बारे में भी जानकारी दी गई और युवा वर्ग के पसंदीदा नए गाने सुनवाए गए जैसे बंटी और बबली का गीत - कजरारे। बुधवार को स्वास्थ्य और सौन्दर्य में फलों का रस लेने की सलाह दी गई, वही पुराने नुस्क़े बताए गए। सामान्य जानकारी में बच्चों को स्कूल में दिए जा रहे पौष्टिक आहार - मिड डे मील आदि की जानकारी दी। आँस्कर अवार्ड के लिए देर से बुधवार को शुभकामनाएँ दी गई। गुरूवार को सफल महिलाओं की जानकारी में भारत की प्रथम महिला पुलिस महानिदेशक कंचन सिंह के बारे में बताया।

शनिवार और रविवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में लोकप्रिय फ़िल्मों के सदाबहार गीत सुनवाए गए जैसे फ़िल्म मिलन का यह गीत -


युग-युग से ये गीत मिलन के गाते रहें है गाते रहेंगें हम तुम

3:30 बजे शनिवार और रविवार को नाट्य तरंग में मूल विदेशी नाटक का कमल तनेजा द्वारा किया गया हिन्दी रूपान्तर सुना - और फिर जिसके निर्देशक है विजय दीपक छिब्बर। सन 1200 का परिवेश था जहाँ बेदाग़ राजकुमार को ही ड्यूक की गद्दी मिलनी थी पर राज़ ये कि लड़की को छिपा कर इसके लिए तैयार किया जाता है।

शाम 4 बजे रविवार को यूथ एक्सप्रेस में दुनिया देखो स्तम्भ में असम की सैर कराई गई। किताबों की दुनिया में बंगला लेखक ताराशंकर बन्धोपाध्याय पर आलेख प्रस्तुत किया गया। एक बात अच्छी लगी युनूस जी कि हर दूसरे रविवार को दी जाने वाली खगोल विज्ञान की जानकारी के लिए श्रोताओं के लिए भी द्वार खोल दिए गए और कहा गया कि अगर कोई किसी तरह का सवाल पूछना चाहे तो विविध भारती को पत्र या मेल भेज सकते है।

पिटारा में शुक्रवार को पिटारे में पिटारा कार्यक्रम में चूल्हा चौका कार्यक्रम प्रसारित हुआ जिसमें जोगेश अरोड़ा जी ने पंजाबी व्यंजन बनाना बताया। हमेशा की तरह इस बार भी अच्छा रहा कार्यक्रम।

सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम मुंबई के टाटा कैंसर शोध संस्थान में जाकर संस्थान के निदेशक डा आर बड़वे से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत प्रसारित हुई। विषय रहा स्तन कैंसर। विस्तृत जानकारी मिली। इस बात को स्पष्ट किया गया कि स्तनपान न कराने से स्तन कैंसर का ख़तरा रहता है। इसे सखि सहेली में भी प्रसारित करने का अनुरोध है। बुधवार को हमारे मेहमान कार्यक्रम में जुतिका राय से कमल (शर्मा) जी की बातचीत का अंतिन भाग सुनवाय गया। जुतिका राय ने बंगला में गाकर सुनाया। अपने कार्यक्रमों के बारे में भी बताया। बहुत अच्छी रही बातचीत। शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई और उनकी पसन्द के गीत सुनवाए गए।


5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद फ़िल्मी हंगामा में नए फ़िल्मी गीत बजते रहे।

7 बजे जयमाला में नए पुराने गीत सुनवाए गए। शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया निर्माता निर्देशक बी सुभाष ने। कुछ बातें फ़ौजी भाइयों के नाम रही, कुछ अपनी फ़िल्मों की चर्चा रही। स्लमडाग मिलियेनेर का भी गाना सुनवाया। बहुत ताज़ी रही यह जयमाला।


7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में राजस्थानी, छत्तीसगढी और पूर्वी लोकगीत सुनवाए गए जिसमें राजस्थानी गीत खेतों में गाया जाने वाला था। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में पधारे निम्मी (मिश्रा) जी और महेन्द्र मोदी जी। इस बार एक बात बड़ी अच्छी लगी कि श्रोताओं की प्रतिक्रिया तुरन्त मिली जैसे बुधवार को पिटारा में ख़्यात गायिका जुतिका राय से बात हुई और इस कार्यक्रम की प्रशंसा में ईमेल आ गए वरना पहले पत्रावली में जिन कार्यक्रमों की चर्चा होती थी उन कार्यक्रमों को पत्र सुनने पर दुबारा याद करते थे। मंगलवार को क़व्वालियाँ सुनवाई गई। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में क्रिकेट अंपायर सुबोध भाटीकर से युनूस जी की बातचीत की प्रसारित हुई। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने।


8 बजे हवामहल में सुनी झलकियाँ - कैसे कैसे दोस्त (निर्देशक गंगाप्रसाद माथुर) हवालात में एक रात (रचना शशिकान्त दुबे निर्देशक अज़रूद्दीन) प्रहसन - वापसी (रचना विपिन बिहारी मिश्र निर्देशक जयदेव शर्मा कमल) हास्य नाटिक - मूसी राम

9 बजे गुलदस्ता में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई।

9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में सुजाता, बुढ्ढा मिल गया, चलती का नाम गाड़ी, रतन, ये गुलिस्त्तां हमारा फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।

रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में निर्माता निर्देशक जे ओमप्रकाश से युनूस जी की बातचीत की अगली कड़ी सुनी।

10 बजे छाया गीत में राजेन्द्र त्रिपाठी जी इस बार कुछ पुराने गीत लेकर आए।

Tuesday, February 24, 2009

विश्वास फ़िल्म का टूटे दिल का गीत

जब हम बात करते है टूटे दिल के गीत की तो सहज ही एक गायक का नाम दिमाग़ में आता है - मुकेश

आज हम याद दिला रहे है विश्वास फ़िल्म का गीत। यह फ़िल्म सत्तर के दशक के शुरूवाती साल या साठ के दशक के अंत में रिलीज़ हुई थी। बहुतों को तो शायद इस फ़िल्म के बारे में पता भी नहीं होगा।

बहुत असफल रही थी यह फ़िल्म और बहुत ही कम समय के लिए चली थी। कुछ शहरों में तो शायद रिलीज़ भी नहीं हुई थी। लेकिन यह गीत रेडियो से बहुत सुनवाया जाता था। चाहे विविध भारती हो या रेडियो सिलोन या उर्दू सर्विस या क्षेत्रीय केन्द्र। फ़रमाइशी और ग़ैर फ़रमाइशी दोनों ही तरह के कार्यक्रमों में यह गीत बजता पर फ़रमाइशी कार्यक्रम में तो बहुत ज्यादा फ़रमाइश आती थी इस गीत की फिर धीरे-धीरे बजना कम हुआ और अब तो बरसों हो गए यह गीत सुने।

इस गीत का भाव लगभग वही है जो फ़िल्म एक बार मुस्कुरा दो के लिए किशोर कुमार और आशा भोंसलें के गाए गीत - तू औरों की क्यों हो गई - में है। अंतर इतना है कि किशोर कुमार के गीत में गुस्सा है क्षोभ है और मुकेश के इस गीत में दर्द है।

यह भी युगल गीत है। मुकेश के साथ सुमन कल्याणपुर ने गाया है। सुमन कल्याणपुर ने केवल अंतिम अंतरा ही गाया है जो मुझे याद नहीं आ रहा। गीत के बोल है -

चाँदी की दीवार न तोड़ी प्यार भरा दिल तोड़ दिया
एक धनवान की बेटी ने निर्धन का दामन छोड़ दिया
चाँदी की दीवार न तोड़ी प्यार भरा दिल तोड़ दिया

लोग क्या समझे प्यार को जग में सब कुछ चाँदी सोना है
धनवानों की इस दुनिया में दिल तो एक खिलोना है
सदियों से दिल टूटता आया दिल का बस ये रोना है
जब तक चाहा दिल से खेला और जब चाहा छोड़ (तोड़) दिया
एक धनवान की बेटी ने निर्धन का दामन छोड़ दिया
चाँदी की दीवार न तोड़ी प्यार भरा दिल तोड़ दिया

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

Friday, February 20, 2009

साप्ताहिकी 19-2-09

सप्ताह भर सुबह 6 बजे समाचार के बाद चितन में वेदों के कथन, जवाहर लाल नेहरू और साहित्यकारों जैसे रवीन्द्रनाथ टैगोर के विचार बताए गए जिसके बाद वन्दनवार में नए पुराने भजन सुनवाए गए। हर दिन कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा, कभी-कभार विवरण भी बताया गया।

7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम इस सप्ताह भी अच्छा रहा। कुछ लोकप्रिय गीतों के साथ ऐसे गीत सुनवाए गए जो बहुत ही कम सुने गए।

7:30 बजे संगीत सरिता में श्रृंखला मेरी संगीत यात्रा समाप्त हुई जिसके अंतर्गत प्रसिद्ध वायलन वादिका विदुशी एम राजम से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत चल रही थी। इस सप्ताह का आकर्षण जुगलबन्दी की चर्चा रही जो राजम जी ने कई बार उस्ताद बिस्मिला खाँ के साथ प्रस्तुत की। प्राप्त सम्मान पद्म श्री, पद्म विभूषण की भी चर्चा हुई। एक ख़ास बात बताई कि अपनी संगीत यात्रा में उन्होनें कोई नया राग नहीं बनाया क्योंकि इतने राग है कि इस महासागर में एक डुबकी लेना ही पर्याप्त है। बहुत आदर्श संगीत यात्रा है।

एक नई श्रृंखला शुरू हुई - ठुमक चली ठुमरी। मौसम का असर है। फागुन में अच्छा लगता है ठुमरी सुनना। प्रदीप (शिंदे) जी के तकनीकी सहयोग और वीणा (राय सिंघानी) जी के सहयोग से कांचन (प्रकाश संगीत) जी की इस श्रृंखला में आमंत्रित कलाकार है माधुरी ओक और शरद सुतवड़े (शायद नाम लिखने में ग़लती हो) शोध और आलेख विश्वनाथ ओक जी का है। पहली ही कड़ी में ज़ोरदार फ़िल्मी ठुमरी सुनवाई गई, फ़िल्म बुढ्ढा मिल गया से -

आयो कहाँ से घनश्याम
रैना बिताई किस धाम

चर्चा में बताया गया कि ठुमरी में संगीत के साथ-साथ भावों का भी महत्व होने से यह ध्रुपद, ख़्याल और टप्पा गायन से अच्छी मानी जाती है।

विभिन्न ठुमरियाँ गाकर सुनवाई गई जैसे फ़िल्म उड़नखटोला की ठुमरी -

मोरे सैंय्या जी उतरेंगे पार हो नदिया धीरे बहो

बहुत ख़ूब कांचन जी !

7:45 को त्रिवेणी में शुक्रवार का विषय थोड़ा हट के रहा, चर्चा चली पड़ोसी की, आलेख और प्रस्तुति दोनों अच्छे रहे, गाने ठीक ही रहे, कुछ और अधिक उचित गीत सुनवाए जा सकते थे। जीवन के अँधेरों की भी बात हुई और संबंधित गीत सुनवाए गए जैसे महेन्द्र कपूर का गाया यह गीत -

अँधेरे में जो बैठे है नज़र उन पर भी कुछ डालो
अरे ओ रोशनी वालों

दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में शुक्रवार को आए युनूस जी, फ़िल्में रही जोधा अकबर, मैं प्रेम की दीवामी, धूम 2 जैसी नई फ़िल्में। सोमवार को मंजू (द्विवेदी) जी ले आई फ़िल्में मेरा नाम जोकर, चुपके-चुपके, ज्वैल थीफ़। मंगलवार को पधारी रेणु (बंसल) जी फ़िल्में रही आँखें, आप आए बहार आई, आया सावन झूम के, तुम सा नहीं देखा, दो रास्ते जैसी लोकप्रिय फ़िल्मे। बुधवार को अमरकान्त जी लाए लोकप्रिय फ़िल्में हरजाई, अनुराग, बंधन, राजपूत, बनारसी बाबू। गुरूवार की फ़िल्में रही प्रोफ़ेसर, इश्क पर ज़ोर नहीं, एक मुसाफ़िर एक हसीना

1:00 बजे म्यूज़िक मसाला कार्यक्रम में जावेद अख़्तर का लिखा और राजू सिंह का स्वरबद्ध किया अलका याज्ञिक और हरिहरन का यह गीत बहुत अच्छा लगा, म्यूज़िक (संगीत) तो है इसमें पर मसाला नहीं -

जब हाथ से शीशे छूटे थे जब दिल के रिश्ते टूते थे
जब टूटी थी अफ़सानों की कड़ी मेरे दिल में अब तक है वो कड़ी
मेरी यादों में अब तक है वो घड़ी

कुछ मैनें कहा कुछ तुमने कहा फिर आवाज़ों में ज़हर घुला
मेरी यादों में अब तक है वो घड़ी

1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में मिले-जुले गीत सुनवाए गए, साठ सत्तर के दशक के गीत भी और नई फ़िल्मों के गीत भी।

3 बजे सखि सहेली में शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की निम्मी (मिश्रा) जी ने। कार्यक्रम में आवाज़ भी बदली और अंदाज़ भी बदला। विभिन्न क्षेत्रों से विभिन्न स्तर की महिलाओं के फोन काल आए जैसे छात्राएँ, कामकाजी जैसे खेतों में काम करने वाली महिलाएँ। उनकी फ़रमाइश पर नए पुराने गाने सुनवाए गए जैसे लड़कियों ने नए गानों की फ़रमाइश की और महिलाओं ने कुछ पुरानी फ़िल्मों के गाने जैसे हिना और नई फ़िल्मों के भारतीय संस्कृति से जुड़े गीत जैसे विवाह फ़िल्म का गीत। बातें भी विस्तार से हुई।

सोमवार को पनीर की खीर बनाना बताया गया जो अच्छा लगा। मंगलवार को करिअर संबंधी जानकारी में खाद्य प्रसंस्करण (फूड टेक्नाँलाजी) में एम एस सी के बारे में जानकारी दी गई। संस्थानों के नाम भी बताए गए। इस काम के बारे में भी जानकारी दी गई और युवा वर्ग के पसंदीदा नए गाने सुनवाए गए। बुधवार को स्वास्थ्य और सौन्दर्य में तनाव रहित रहने की सलाह दी गई और कुछ पुराने नुस्क़े बताए गए। सामान्य जानकारी में मूलभूत अधिकारों जैसे स्वास्थ्य, पौष्टिक आहार आदि की जानकारी दी।

शाम 4 बजे रविवार को यूथ एक्सप्रेस में दुनिया देखो स्तम्भ में शिवाजी जयन्ती के अवसर पर महाराष्ट्र के शिवाजी के क़िलों की चर्चा चली। तबला वादक ज़ाकिर हुसैन के बारे में बताया गया। विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश की सूचना भी दी गई।

पिटारा में शुक्रवार को पिटारे में पिटारा कार्यक्रम में आज के मेहमान कार्यक्रम प्रसारित हुआ जिसमें कानून विशेषज्ञ वसुंधरा देशपाण्डे से बातचीत प्रसारित हुई जिसे सखि-सहेली कार्यक्रम में पहले ही प्रसारित किया जा चुका है।

सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में दंत चिकित्सक डा जिगर छेड़ा से निम्मी (मिश्रा) जी की दाँतों की देखभाल पर बात हुई। विस्तृत जानकारी मिली। बुधवार को हमारे मेहमान कार्यक्रम में गायिका जुतिका राय से संबंधित कार्यक्रम प्रस्तुत किया कमल शर्मा ने। भजन गायन ख़ासकर मीरा भजन का पर्याय बनी इस कलाकार से बातचीत बहुत अच्छी लगी। हमने तो सोचा था कि वन्दनवार में कभी-कभार भजन ही सुनने को मिलते है पर इस तरह खुद उन्ही के मुख से उनके जीवन की बातें अच्छी लगी। एक बार फिर से प्रसारण हो तो अच्छा रहेगा। धन्यवाद महेन्द्र मोदी जी ! आशा है आगे भी ऐसी प्रस्तुतियाँ होती रहेगी।

5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद फ़िल्मी हंगामा में नए फ़िल्मी गीत बजते रहे। कुछ ख़ास नहीं रहा।

7 बजे जयमाला में नए पुराने गीत सुनवाए गए। शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया अभिनेता गोविन्द नामदेव ने। पहले फ़ौजी भाइयों की बात हुई और संबंधित गीत सुनवाए गए फिर भूपेन हज़ारिका की बात की और रूदाली फ़िल्म का गीत सुनवाया फिर कुछ खुद की बातें हुई। अच्छी प्रस्तुति रही।

7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में उत्तर प्रदेश, असम और नेपाली लोकगीत सुन कर बहुत आनन्द आया। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में पधारे निम्मी (मिश्रा) जी और कमल (शर्मा) जी। श्रोताओं ने मंथन जैसे कार्यक्रमों को दुबारा शुरू करने की बात कही। संगीत सरिता कार्यक्रम से जुड़े पत्र भी रहे जिसमें श्रोताओं ने यह भी कहा कि विषय कुछ बदले जाए तब कमल जी ने श्रोताओं से कहा कि श्रोता ही विषय बताए, सुझाव दें, what an idea Sir jee ! चलिए पहला विषय हम ही बताते है, भारत सरकार ने पंडित भीमसेन जोशी को सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने का निर्णय लिया, इसी पर एक कार्यक्रम कीजिए जिसमें पंडित जी के बारे में बताइए, कुछ संगीतज्ञों से उनके बारे में सीधे या फोन पर बात कीजिए, हो सके तो एक दिन फोन पर श्रोताओं से भी शुभकामनाएँ लेने का आयोजन कीजिए और सुनवाइए उनकी बंदिशें। मंगलवार को क़व्वालियाँ सुनवाई गई। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में धारावाहिकों और फ़िल्म अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्रा से रेणु (बंसल) जी की बातचीत की अगली कड़ी प्रसारित हुई। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने जिसमें राग अटाड़ा पर उस्ताद अमीर खाँ का गाया यह शीर्षक गीत बहुत अच्छा लगा -

झनम झनक पायल बाजे

8 बजे हवामहल में सुनी झलकियाँ - गैस का सिलेण्डर (रचना संजय श्रीवास्तव निर्देशक गोविन्द त्रिवेदी), राज़ की बात (रचना राजकुमार निर्देशक कमल दत्त)

9 बजे गुलदस्ता में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई। राजेश जौहरी का गीत अच्छा लगा जिसके बोल कुछ यूँ है ज़िन्दगी भी तुम्हारी ख़ुशी भी तुम्हारी… इसके अलावा फाल्गुनी पाठक का गाया गीत भी अच्छा रहा - आँखो में कजरा, बालों में गजरा

9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में कसमें वादे, सावन की घटा, कभी-कभी जैसी लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।

रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में निर्माता निर्देशक जे ओमप्रकाश से युनूस जी की बातचीत की अगली कड़ी सुनी। उनकी चर्चित फ़िल्म आँधी की चर्चा हुई। इस फ़िल्म को रिलीज़ करने में आई अड़चनों और उन्हें दूर करने के लिए तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ल और इन्दिरा गाँधी से किए गए संपर्कों का ज़िक्र किया।

10 बजे छाया गीत में युनूस जी ले आए अनमोल नग़में जिनमें से शंकर हुसैन की क़व्वाली यूँ तो सबके लिए कम सुनी है पर हैदराबाद में समारोहों में यह रिकार्ड बहुत बजता रहा था।

Tuesday, February 17, 2009

फ़िल्म कितने पास कितने दूर का शीर्षक गीत

1977 के आस-पास रिलीज़ एक बेहतरीन फ़िल्म है कितने पास कितने दूर। खूब चली यह फ़िल्म जिसका कारण रहा कि यह एक प्रायोगिक फ़िल्म थी। इस फ़िल्म में एक ही विषय पर दो अलग कहानियाँ थी। मध्यांतर तक एक कहानी उसके बाद दूसरी कहानी। विषय एक ही कि पैसा पाने की चाह और जब ढेर सा धन मिल जाता है तब जीवन समाप्त हो जाता है।

पहली कहानी में एक कैबरे डांसर और उसके प्रेमी की कहानी है जो अपराध से पैसा प्राप्त करते है और पैसा हाथ में आते ही उन्हें मार दिया जाता है। दूसरी कहानी में अधेढ उमर में पैसे की चाह और लाटरी से ढेर सा पैसा मिलता है और हृदय गति रूकने से मृत्यु।

इस अधेढ व्यक्ति की भूमिका की है उत्पल दत्त ने। यह एक ही अभिनेता पूरी फ़िल्म यानि दोनों कहानियों में जाना पहचाना चेहरा है शेष कोई भी कलाकार जाना पहचाना नहीं है।

पैसा मिलने के बाद उत्पल दत्त गाना सुनने जाते है और वहाँ फ़िल्माया गया है यह शीर्षक गीत। वास्तव में यह गीत नहीं ग़ज़ल है। जिस अभिनेत्री ने इस ग़ज़ल को फ़िल्म में गाया है वो भी अन्जान चेहरा है। ग़ज़ल का फ़िल्मांकन सुन्दर है। हुक्का गुड़गुड़ाते उत्पल दत्त और सामने सफ़ेद लिबास में अभिनेत्री ने ग़ज़ल छेड़ दी और कोई तीसरा नहीं, शान्त संयत वातावरण।

इस ग़ज़ल को बहुत ख़ूब गाया है चन्द्राणी मुखर्जी ने। पिछले चिट्ठे में हमने चन्द्राणी मुखर्जी के गाए पहले हिन्दी फ़िल्मी गीत को याद किया था जो तपस्या फ़िल्म का था उसके बाद यह दूसरा गीत है। इसी ग़ज़ल से चन्द्राणी मुखर्जी का नाम हिन्दी फ़िल्मों के लिए जाना पहचाना बन गया था।

इसके बाद अस्सी के दशक के शुरू में ही एक फ़िल्म आई थी - यह कैसा नशा है। यह एक प्रेमकहानी थी। इसका प्रचार बहुत ज़ोर-शोर से हुआ था। इसमें गीत ज्यादा थे शायद सात-आठ और रोमांटिक गीतों में युगल स्वर थे चन्द्राणी मुखर्जी और शैलेन्द्र सिंह (बाँबी फेम) के। बहुत सुनवाए जाते थे यह गाने। फ़िल्म रिलीज़ हुई और बुरी तरह फ़्लाप हुई जिसके बाद रेडियो से इसके गीत बजना कम हुए और फिर बन्द ही हो गए और आज इन गीतों के न तो बोल याद आ रहे है और ना ही धुन पर थे बड़े अच्छे रोमांटिक गीत।

इसके बाद चन्द्राणी मुखर्जी ने हिन्दी फ़िल्मों में शायद कोई गीत नहीं गाया। आज हम याद कर रहे है कितने पास कितने दूर फ़िल्म की इस ग़ज़ल को जिसे सुने बरसों हो गए जिसका मुखड़ा है -

मेरे महबूब शायद आज कुछ नाराज़ है मुझसे
मैं कितने पास हूँ फिर भी वो कितने दूर है मुझसे
मेरे महबूब शायद आज

अंतरे मुझे बिल्कुल भी याद नहीं आ रहे।

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगी यह ग़ज़ल…

Sunday, February 15, 2009

श्री हरीश भीमाणीजी को जन्म दिन की बधाई (दि.15 फ़रवारी) और सेक्सोफोन पर एक ही गाने की दो अलग फनकारों की धूने

श्री हरीश भीमाणीजी को जन्म दिन की बधाई । आज बहू आयामी व्यक्तीत्व वाले यानि मशहूर रेडियो प्रसारक, टी.वी एन्कर, अभिनेता, टी.वी. धारावाहिक निर्माता और निर्देषक, विज्ञापन कार, लेखक, तथा स्टेज शो के संचालक श्री हरीश भीमाणीजी का जन्म दिन है । मैंनें उनको सबसे पहेले रेडियो श्री लंका के ग्वालियर सूटिंग द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम के प्रस्तूत-कर्ता के रूपमें सुना था । बादमें मुम्बई दूरदर्शन से प्रसारित हिन्दी समाचार वाचक के रूपमें जब मुम्बई जाता था तब देखा था । लताजी के कई अनगिनत स्टेज शो को उन्होंनें संचालित किया । उनके बारेमें पुस्तक भी लिख़ी । फिल्म प्रेम विवाहमें दूरदर्शन के प्रतिनीधी का पात्र किया । आज कई मोबाईल कम्पनीयोँ के मोबाईल कनेक्सनमें आप उनके द्वारा बोले गये सन्देश हिन्दी, इंग्लीश और गुजरातमें गुजरातीमें भी सुन सकते है । गुजरात के विविध भारती केन्दों पर उनके द्वारा प्रायोजीत (फिल्मो के और अन्य उत्पादनोके) कार्यक्रम गुजरातीमें भी आते रहे है । महाभारत के समय को हम कैसे भूल सकते है ? दिस्कवरी और नेशनल ज्योग्राफीक जैसे चेनल्स पर हिन्दी वोईस ओवर भी उनके आते रहे है । आज भी टी वी परदे पर सीधे आने को बाद करके करीब हर प्रकार के व्यावसायिक काममें वे अति व्यस्त है । दूरदर्शन के राष्ट्रीय प्रसारणमें भी उन्होंने केझ्यूल समाचार वाचक के रूपमें कभी कभी अपने को प्रस्तूत किया था । इस तरह वे गुजराती, हिन्दी और इंग्रेजी तीनों भाषामें प्रस्तूत-कर्ता रहे । हालाकि वे मूल रूपसे तो रासायणिक अभियंता है । वे बहोत मशरूफ़ होने के कारण अपने चाहको से ज्यादा नहीं मिल पाते, फ़िर भी अगर उनसे रूबरू मिलना नसीब हुआ तो श्री अमीन सायानी साहब और श्री रिपूसूदन कूमार ऐलावादीजी की तरह अगर वे राज़ी हुए तो उनसे की गयी बात चीत का दृष्यांकन इस मंच पर प्रस्तूत करने में मूझे खुशी होगी । रेडियोनामा के पूरे दल की और से उनको जन्मदिन की और स्वस्थ जीवन की शुभ: कामना ।
पियुष महेता ।
सुरत ।

साथ सुनिये सेक्सोफोन पर फिल्म 'काला बाझार' के गीत की दो धूने :
प्रथम धून महेन्द्र कबीर की बजाई हुई है ।
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और अब यही धून सेक्सोफोन पर ही सुरेश यादव की बजाई सुनिये जो आप विविध भारती से भी कभी सुन चूके है, जिसको थोडा डिस्को स्पर्श दिया गया है, जिसमें अंतराल संगीतमें एकोर्डियन श्री एनोक डेनियेल्स साहब का है ।
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Friday, February 13, 2009

साप्ताहिकी 12-2-09

सप्ताह भर सुबह 6 बजे समाचार के बाद चितन में चाण्क्य की नीति बताई गई, संत ज्ञानेश्वर, विदेशी दार्शनिक सुकरात, जवाहर लाल नेहरू के विचार बताए गए जिसके बाद वन्दनवार में नए पुराने भजन सुनवाए गए। शुक्रवार को संतोषी माता का नया भजन अच्छा लगा।

हर दिन कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा। शुक्रवार को सुनवाया गया देशगान बहुत पुराना लगा। हम फिर एक बार अनुरोध कर रहे है कि इन देशगानों के कृपया विवरण बताए।

7 बजे का भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम तो दिन पर दिन निखरता जा रहा है। एक ओर तो समय की गर्त से निकाल कर ऐसे अनमोल गीत सुनवाए जा रहे है जो कभी बार-बार सुनवाए जाते थे पर अब समय के साथ-साथ भूलने से लगे थे जैसे फ़िल्म अनमोल घड़ी से नूरजहाँ का गीत -

जवाँ है मुहब्बत हसीं है समाँ

तो कभी ऐसे गाने सुनवाए गए जो शायद ही कभी सुने गए हो जैसे बाबुल और दर्द फ़िल्म के वैसे तो शमशाद बेगम और उमादेवी के गाए लोकप्रिय गाने सुनते ही रहते है पर इन फ़िल्मों के शमशाद बेगम और उमादेवी के गाए ऐसे गीत भी सुनवाए गए जो पहले शायद ही कभी सुनवाए गए हो। हम नाम तो नहीं जानते इस कार्यक्रम के लिए गीतों का चयन करने वाले अधिकारी का पर हम उन्हें धन्यवाद देना चाहेंगे।

साथ ही महेन्द्र मोदी जी से हम यह अनुरोध करना चाहते है कि अगर हर कार्यक्रम के अंत में गीतों का चयन करने वाले अधिकारी का नाम बता सके तो अच्छा रहेगा।

7:30 बजे संगीत सरिता में श्रृंखला मेरी संगीत यात्रा जारी रही जिसके अंतर्गत प्रसिद्ध वायलन वादिका विदुशी एम राजम से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत चल रही है। इस सप्ताह बताया कि गायक ओंकार नाथ ठाकुर उनके गुरू रहे और गायन और वादन में भी गुरू शिष्य का कैसा संबंध होता है, यह समझाया गया। यह भी जानकारी मिली कि बनारस में वायलन सीखने बहुत से विद्यार्थी आते थे। धुपद, कजरी सुनाई गई और ठुमरी पर भी चर्चा चली। विभिन्न लोकप्रिय ठुमरियों के आरंभिक अंश वायलन पर बजा कर सुनाए गए साथ में लोकप्रिय भजन भी - पायो जी मैनें रामरतन धन पायो। यहाँ हम कहना चाहेगें कि अच्छा होता अगर सुमित्रा लाहिरी की गाई फ़िल्म स्वामी से यह ठुमरी सुनवाई जाती -

का करूँ सजनी आए न बालम

इसका पुरूष संस्करण यसुदास ने गाया है। ख्यात गायिका सुमित्रा लाहिरी के गाए महिला संस्करण को प्रीति गांगुली पर फ़िल्माए जाने से देखने में यह कामेडी है पर सुनने में शास्त्रीयता का पुट लिए अच्छी ठुमरी है जिसे रेडियो से बहुत पहले एकाध बार ही सुना था।

7:45 को त्रिवेणी में को सफ़ाई की, प्रतिस्पर्धा की बातें हुई तो जीवन को पानी धारा की तरह माना, बदलती डाक व्यवस्था की चर्चा हुई और इससे जुड़े नए गाने सुनवाए गए।

दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में शुक्रवार को आए अमरकान्त जी राजेश खन्ना की फ़िल्में लेकर जैसे अलग-अलग, प्रेम कहानी, अनुरोध, कटी पतंग, राजा रानी, दो रास्ते, दाग़। शनिवार को रेणु (बंसल) जी लेकर आईं नई फ़िल्में फ़िज़ा, राजा हिन्दुस्तानी, हम दिल दे चुके सनम, शरारत, धड़कन, फ़ना, प्यार तो होना ही था। रविवार की फ़िल्में रही आमने सामने, अनाड़ी, दूर गगन की छाँव में, राजकुमार, सूरज, भूत बंगला। सोमवार को अशोक जी ले आए नाइट इन लन्दन, प्यार किया तो डरना क्या, उम्मीद, जैसी पुरानी लोकप्रिय फ़िल्मों जिनमें से श्रोताओं ने रफ़ी साहब के गाए गीतों के लिए संदेश भेजें। मंगलवार को कमल (शर्मा) जी ले आए श्री 420, मदर इंडिया, तलाश, मेरा गाँव मेरा देश, हिमालय की गोद में, जीने की राह, नदिया के पार, मधुमति जैसी लोकप्रिय फ़िल्मे और श्रोताओं ने इन फ़िल्मों के धूम-धड़ाके वाले गानों के लिए संदेश भेजें जैसे नदिया के पार का फागुन का गीत - जोगी जी हाँ। बुधवार को अमरकान्त जी लाए लोकप्रिय फ़िल्में हमजोली, दीवार, हीरा पन्ना, सुहाग, महबूबा। गुरूवार को रेणु (बंसल) जी लाईं फ़िल्में - मेरे अपने, पूजा के फूल, असली नकली, ये रास्ते है प्यार के।

राजा रानी फ़िल्म का यह गीत बहुत दिन बाद सुन कर अच्छा लगा -

मैं एक चोर तू मेरी रानी
तू मेरा राजा मैं तेरी रानी

1:00 बजे म्यूज़िक मसाला कार्यक्रम में कैसी ये दीवानगी एलबम का यह धीमा-धीमा सा गीत म्यूज़िक मसाला के मिज़ाज़ का नहीं लगा -

कैसी ये दीवानगी सी इस दिल पे छाने लगी है
वो शोख़ चंचल सी लड़की फिर याद आने लगी है

1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में मिले-जुले गीत सुनवाए गए जैसे पत्थर के सनम फ़िल्म का मुकेश और लता जी का गाया यह गीत्त -

महबूब मेरे तू है तो दुनिया कितनी हसीन है
जो तू नहीं तो कुछ भी नहीं है

बाबुल फ़िल्म का सोनू निगम का गाया गीत -

जब दुआ मैनें रब से मांगी तब तू मिला
बाँट लेगें मिल कर साथी शिकवा हो या गिला
वादा रहा प्यार का

सोमवार को हरी मटर की मठरी बनाना बताया गया। हम इसे बहुत बनाते है, थोड़ा सा अलग तरीका भी है जैसे गरम पानी की ज़रूरत नहीं है, इस पेस्ट को हल्के हाथ बेसन लगा कर हाथ से थोड़ा लम्बाकार लोई बना ले, इस तरह कोफ़्तों की तरह तल कर भी खाया जा सकता है। मंगलवार को निजी प्रबन्धन - पर्सनल मैनेजमेन्ट में डिप्लोमा बारे में जानकारी दी गई। संस्थानों के नाम भी बताए गए। साथ ही परीक्षा का तनाव कम करने के सुझाव भी दिए गए और तारे ज़मीन पर फ़िल्म का गीत भी सुनवाए गीतों में शामिल रहा। बुधवार को सर्दियों में केला खाने की सलाह दी गई पर एक खास बात नहीं बताई गई कि केला मधुमेह के रोगियों के लिए ज़हर है। सौन्दर्य के लिए केले को मसल कर चेहरे पर लगाने की सलाह दी गई। मुहाँसे निकलने पर सफ़ाई की आवश्यकता की सलाह दी और घरेलु उपाय बताए जैसे पुदीना लगाना।

शनिवार और रविवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में लोकप्रिय सदाबहार गीत सुनवाए गए जैसे लाट साहब फ़िल्म का रफ़ी साहब और साथियों का गाया यह गीत -

सवेरे वाली गाड़ी से चले जाएगें
कुछ लेके जाएगें कुछ देके जाएगें

3:30 बजे शनिवार और रविवार को नाट्य तरंग में मूल बंगला नाटक का सुशील गुप्ता द्वारा किया हिन्दी रूपान्तर सुना - कलिका जिसके निर्देशक है दीनानाथ। खेल जगत में तैराकी और उसमें भी महिला तैराक की बात कहता अच्छा लगा यह नाटक साथ ही रिकार्ड बनाने की जद्दोजहद भी इस नाटक में रही।

शाम 4 बजे रविवार को यूथ एक्सप्रेस में एक अच्छी नई श्रृंखला शुरू हुई खगोल विज्ञान जिसमें आसमान की बातें हो रही है, सितारों की दशा और दिशा बताई जा रही है, अच्छा है, समाज में फैले कई भ्रम इससे दूर होगें। इस शुरूवात के लिए युनूस जी आपको बधाई। इसके अलावा खेल जगत के समाचार रहे। किताबों की दुनिया में गिरिराज किशोर के नए उपन्यास पर चर्चा अच्छी रही।

पिटारा में शुक्रवार को पिटारे में पिटारा कार्यक्रम में बाइस्कोप की बातें कार्यक्रम में लोकेन्द्र (शर्मा) जी ने की फ़िल्म अमानुष की चर्चा। हमेशा की तरह पर्दे के पीछे की बातों के साथ बेहतरीन चर्चा।

सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में स्त्री रोग विशेषज्ञ डा लता दांडेकर से मासिक धर्म के बारे में रेणु (बंसल) जी ने बातचीत की। इसके बारे में विस्तार से चर्चा हुई। मासिक धर्म क्या होता है, मासिक चक्र क्या होता है, इसके शुरू होने से लेकर समाप्त होने तक आने वाली समस्याओं के बारें में भी बताया, संतान होने और न होने से इसके संबंध की भी चर्चा की गई, इससे शरीर में होने वाले बदलाव पर भी बात हुई, साथ में यह भी बताया कि ज़िन्दगी में प्रयोग करने का शौक रखने वाली लड़कियाँ जिस तरह फ्रीसेक्स की ओर बढ रही है उनके लिए यह ठीक नहीं है, अच्छा लगा यह भी बताना क्योंकि समाज में किसी की बात तो यह लड़कियाँ मानती नहीं, कम से कम डाक्टर की सलाह तो मानेगी। समूची स्त्री जाति के लिए उपयोगी रही यह बातचीत, रेणु जी ने अपने प्रश्नों में सारी बातों को समेट लिया, मुझे नहीं लगता है कि कोई बात छूटी हो। हमारा अनुरोध है कि इसका फिर से प्रसारण कीजिए और सखि-सहेली कार्यक्रम में भी प्रसारित कीजिए। बुधवार को अभिनेता इरफ़ान ख़ान से बातचीत प्रसारित हुई। करिअर की व्यवस्थित शुरूवात और आगे बढने की यात्रा बताई गई।

5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद फ़िल्मी हंगामा में नई रिलीज़ हो चुकी फ़िल्मों के गीत भी सुनवाए गीतों में शामिल रहे।

7 बजे जयमाला में नए पुराने गीत सुनवाए गए। शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया गायिका मधुश्री ने। जैसे कि उम्मीद की जा रही थी शुरूवात कि इसी गीत से - कभी नीम नीम कभी शहद शहद। अपने के बारे में बताया, ए आर रहमान के सहयोग की चर्चा हुई, करिअर के अनुभव बताए और गीत भी सुनवाए।

7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में आसा सिंह मस्तान का पंजाबी लोकगीत सुन कर बहुत आनन्द आया। बृज का लोकगीत भी अच्छा ही था भाव वही थे, चुनरिया का लहराना और सौतन से दूरी रखने का अनुरोध। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में पधारे निम्मी (मिश्रा) जी और महेन्द्र मोदी जी। इस बार भी तारिफ़ें और शिकायतें थी। आजकल यह अच्छी बात हो रही है कि डाक पते के साथ ई-मेल पता भी बताया जाता है जिससे सभी को पत्र लिखना आसान हो रहा है। मंगलवार को क़व्वालियाँ सुनवाई गई। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में धारावाहिकों और फ़िल्म अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्रा से रेणु (बंसल) जी की बातचीत की प्रसारित हुई। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने।

8 बजे हवामहल में सुनी नाटिका सैलाब के बाद (रचना अविनाश निर्देशक लोकेन्द्र शर्मा) इसके बाद डा शंकर शेष का लिखा धारावाहिक नाटक शुरू हो गया नई सभ्यता नए नमूने जिसके निर्देशक है अनूप सेठ

9 बजे गुलदस्ता में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई। खास रहे मिर्ज़ा ग़ालिब और मीर तकी मीर के कलाम जिन्हें रफ़ी साहब और खासकर बेगम अख़्तर की आवाज़ में सुनना अच्छा लगा।

9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में पारस, सूरज, बेताब, रास्ते प्यार के जैसी लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए। सूरज फ़िल्म का शारदा की आवाज़ में तितली उड़ी गीत बहुत दिन बाद सुनना बहुत-बहुत अच्छा लगा।

रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में निर्माता निर्देशक जे ओमप्रकाश से युनूस जी की बातचीत की अगली कड़ी सुनी। राकेश रोशन से अपने आत्मीय संबंधों के बारे में चर्चा की साथ ही ॠतिक रोशन की भी चर्चा चली और इस बहाने नए सभी नायकों के काम और उनकी मेहनत को सराहा गया।

10 बजे छाया गीत वही पुराने ढर्रे पर चलता रहा, राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी नए गीत सुनवाते रहे, निम्मी जी भूले बिसरे गीत सुनवाती रही, चाँद तारों की बाते होती रही, युनूस जी कम सुने अनमोल गीत लेकर आए जिसमें से पहला गीत जो अमर ज्योति का था - कल्पना के घन - पहले अक्सर भूले बिसरे गीत में सुना करते थे।

Tuesday, February 10, 2009

भाभी की उंगली में हीरे का छल्ला

शादी-ब्याह का भाभी के लिए गाया जाने वाला यह गीत चन्द्राणी मुखर्जी ने आरती मुखर्जी के साथ राजश्री प्रोडक्शनस की फ़िल्म तपस्या के लिए गाया है जिसे आभा धुलिया और गायत्री पर फ़िल्माया गया है और भय्या भाभी है असरानी और मंजू असरानी -

भाभी की उंगली में हीरे का छल्ला
हीरे का छल्ला ओए ओए हीरे का छल्ला

देखो देखो भय्या ने बाँधा है पल्ले से पल्ला
बाँधा है पल्ला ओए ओए बाँधा है पल्ला

कैसी सुन्दर यह जोड़ी मिलाई
के भैय्या मक्खन है भाभी मलाई
भैय्या मक्खन है भाभी मलाई दुहाई
भाभी की उंगली में हीरे का छल्ला
हीरे का छल्ला ओए ओए हीरे का छल्ला

तँग न करो चलो जी पाँव पड़ो
भाभी मुश्किल से घर में है आई
पहना बहुत दिन बेलबाटम
आज साड़ी पहन शरमाई
इस मूहर्त पे बाँटो मिठाई
के भैय्या मक्खन है भाभी मलाई
भैय्या मक्खन है भाभी मलाई दुहाई
भाभी की उंगली में हीरे का छल्ला
हीरे का छल्ला ओए ओए हीरे का छल्ला

… … …
ज़रा हम चन्दा सा मुखड़ा चूम ले
पहली खुशी है इस घर की
आओ मिल के गले हम झूम ले
कभी हो ना पराई पराई
के भैय्या मक्खन है भाभी मलाई
भैय्या मक्खन है भाभी मलाई दुहाई
भाभी की उंगली में हीरे का छल्ला
हीरे का छल्ला ओए ओए हीरे का छल्ला

१९७५ के आस-पास रिलीज़ इस फ़िल्म का यह गीत विविध भारती समेत विभिन्न रेडियो स्टेशनों से फ़रमाइशी और ग़ैर फ़रमाइशी दोनों ही तरह के कार्यक्रमों में अक्सर सुनवाया जाता था पर कुछ सालों से बिल्कुल ही नहीं सुनवाया गया।

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

Friday, February 6, 2009

साप्ताहिकी 5-2-09

सप्ताह के आरंभ में विविध भारती में पूर्व राष्ट्रपति श्री आर वेंकटरमन जी के निधन से शोक की लहर जारी रही। अंतिम दिनों में प्रसारण सामान्य रहा।

इस सप्ताह का पहला दिन गाँधी जी की पुण्य स्मृति - शहीद दिवस रहा। इस दिन प्रसारण की शुरूवात क्षेत्रीय केन्द्र ने परम्परागत रूप में की। सुबह सवेरे प्रसारण की शुरूवात आकाशवाणी की संकेत धुन (सिगनेचर ट्यून) से होती है जिसके बाद वन्देमातरम फिर मंगल ध्वनि सुनवाई जाती है। यह सब क्षेत्रीय केन्द्र से प्रसारित होता है जिसके बाद समाचारों से रिले की शुरूवात होती है। हमारे क्षेत्रीय केन्द्र हैदराबाद की यह परम्परा रही है कि 2 अक्तूबर और 30 जनवरी - गाँधी जी के जन्मदिन और पुण्य तिथि, इन दोनों ही दिन मंगल ध्वनि के स्थान पर बापू का प्रिय भजन वैष्णव जन सुनवाया जाता है। इस सप्ताह भी यह परम्परा बनी रही और यह भक्ति पद सुनवाया गया।


सुबह 6 बजे समाचार के बाद चितन में राम महिमा बताई गई जिसके बाद वन्दनवार में पुराने भजन सुनवाए गए -

मीरा भजन - मैं तो प्रेम दीवनी, मेरा दर्द न जाने कोय
पायो जी मैनें राम रतन धन पायो (लता जी की आवाज़ नहीं)
घूँघट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे (जुतिका राय की आवाज़)


हर दिन कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा।


7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम में एकाध लोकप्रिय गीत के साथ भूले बिसरे गीत भूली बिसरी आवाज़ों में सुनवाए गए जैसे अरूण कुमार, कानन देवी, अमीर बाई कर्नाटकी, शमशाद बेगम। कार्यक्रम मूल रूप में प्रसारित हुआ पर आरंभिक दिनों में गंभीर गीत सुनवाए गए। फ़िल्म शादी का पैरोडी गीत बहुत दिन बाद सुना -

तेरे पूजन को भगवान बनाऊँ बैंक मैं आलीशान


7:30 बजे संगीत सरिता में श्रृंखला मेरी संगीत यात्रा में एक श्रृंखला समाप्त हुई जिसमें प्रख़्यात संगीतज्ञ पंडित जसराज अपने बालसखा स्वामी हरिप्रसाद से अपनी संगीत यात्रा बता रहे थे। विभिन्न रागों पर बंदिशे भी सुनाई। इस श्रृंखला की ख़ास बात रही कि संगीत के चमत्कार के अनुभव सुनाए गए। बताया गया कि राग मेघ मल्हार गाने के बाद बारिश शुरू हुई जहाँ तीन साल से बारिश नहीं हो रही थी।

कांचन (प्रसाद संगीत) जी की दूसरी श्रृंखला शुरू हुई जिसके अंतर्गत प्रसिद्ध वायलन वादिका विदुशी एम राजम की संगीत यात्रा शुरू हुई। लेकिन यह कार्यक्रम कुछ ही समय पहले सुना था। इतनी जल्दी दुबारा सुनना ठीक नहीं लगता। वैसे भी एक जैसी दो श्रृंखलाएँ एक के बाद एक सुनना अच्छा नहीं लग रहा।


7:45 को त्रिवेणी में शुक्रवार को प्रकृति की बातें की गई, सर्वव्यापी ईश्वर की बात हुई, आलेख, गीतों का चयन जैसे बूँद जो बन गई मोती फ़िल्म का गीत -

हरी भरी वसुन्धरा पे नीला-नीला ये गगन

और प्रस्तुति अच्छी रही पर यह अंक शनिवार को प्रसारित होता तो ज्यादा अच्छा होता, शुक्रवार को भी अच्छा ही लगा लेकिन गाँधी जी की पुण्य तिथि और शहीद दिवस पर कुछ और बात भी हो सकती थी। अब जब यह शुक्रवार को सुनवा ही दिया तो शनिवार को कोई और बात ख़ास कर शिक्षा की बात की जा सकती थी क्योंकि शनिवार का दिन था बसन्त पंचमी, श्री पंचमी, सरस्वती पूजन जबकि शनिवार को बात हुई सुरक्षा की।


दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में शुक्रवार को आए युनूस जी कलात्मक फ़िल्में लेकर जैसे लेकिन, सदमा, अलग-अलग और श्रोताओं ने भी इन फ़िल्मों के संजीदा गीतों के लिए संदेश भेजे जैसे ग़मन फ़िल्म का सुरेश वाडेकर का गाया यह गीत -

सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यों है

इस शहर में हए शख़्स परेशान सा क्यों है


शनिवार को अभिनेत्री गायिका सुरैया को याद किया गया, फ़िल्में रही मिर्ज़ा ग़ालिब, दिल्लगी, हिमालय की गोद में। सोमवार को निम्मी (मिश्रा) जी लेकर आईं नई लोकप्रिय फ़िल्में जैसे लगान, दस, कल हो न हो। मंगलवार को राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ले आए विरासत, त्रिशूल, साथ-साथ, धर्मवीर जैसी लोकप्रिय फ़िल्में। बुधवार को कमल (शर्मा) जी लाए लोकप्रिय फ़िल्में तीन देवियाँ, गाइड, पत्थर के सनम, हमराज़, एन ईवनिंग इन पैरिस, नाइट इन लन्दन, हरियाली और रास्ता, छाया। गुरूवार को शहनाज़ (अख़्तरी) जी लाईं नई फ़िल्में - धूम 2, बण्टी और बबली, सिंह इज़ किंग, नो एन्ट्री, कृष


यह कार्यक्रम हम अक्सर क्षेत्रीय प्रायोजित कार्यक्रम के कारण 15-20 मिनट के लिए सुन नहीं पाते है।


1:00 बजे से चित्रपट संगीत सुनवाया गया जिसमें फ़िल्मों के संजीदा, दार्शनिक भाव के गीत सुनवाए गए। सप्ताह के अंतिम दिनों में म्यूज़िक मसाला में प्यार है तुम से एलबम का यह गीत वाकई मसालेदार रहा -

सुन तेरे बिना आशिक ये कड़का
पैसा है गाड़ी है बंगला है गाड़ी है
ओ मेरी दिल नशीं बस तेरी है कमी


1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में आरंभिक दिनों में श्रोताओं की पसन्द से गंभीर गीत चुन कर सुनवाए गए। बाद में सामान्य प्रसारण में मिले-जुले गीत रहे।


3 बजे सखि सहेली में शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की शहनाज़ (अख़्तरी) जी ने। विभिन्न स्थानों से फोन आए। इस बार भी छात्राओं ने अपनी शिक्षा और अपने करिअर के बारे में बताया। घरेलु और कम पढी लिखी कामकाजी महिलाओं के भी फोनकाल आए। इस बार बातचीत कुछ विस्तार से हुई। साड़ियों पर जरी का काम करने वाली महिला ने बताया कि उसे दुकानों से काम मिलता है साथ ही काम के लिए धागा वग़ैरह भी दिया जाता है और साड़ी पर डिज़ाइन भी बना होता है, एक साड़ी पर वह जरी का काम तीन-चार दिन में कर लेती है जिसके उसे तीन चार सौ रूपए मिल जाते है। यह एक जानकारी मिली। साथ-साथ सखियों की पसन्द के गीत भी शामिल रहे, इस बार संजीदा गीत रहे यानि शोक के माहौल को देखते हुए चुने गए ऐसे फोन काल।

सोमवार को बसन्त का स्वागत हुआ। कविताओं की कुछ पंक्तियाँ सुनाई गई और कहा गया कि कवि निराला जी का यह पसन्दीदा मौसम है, अरे भई बसन्त पंचमी निराला और महादेवी वर्मा का जन्मदिन है। अच्छा लगा बहुत दिन बाद आग फ़िल्म से शमशाद बेगम का गाया यह गीत सुनना -


काहे कोयल शोर मचाए रे
मोहे अपना कोई याद आए


बाजरे की खिचड़ी, बाजरे के भूसे से मुठिए और चाकलेटी लड्डू बनाना बताया गया। मंगलवार को फ़िज़ियोथेरिपी के क्षेत्र में करिअर बनाने की जानकारी दी गई। बुधवार को सौन्दर्य प्रसाधान में मिलावट की चर्चा हुई। जहाँ तक हो सके रासायनिक प्रसाधान का उपयोग न करने की सलाह दी गई। त्वचा की देखभाल विशेषकर त्वचा की सफ़ाई की आवश्यकता की सलाह दी। गुरूवार को रेडियो श्रोता की जानी मानी नगरी झुमरी तलैया के बारे में बताया गया पर बहुत ही ऊपरी जानकारी दी गई। सिर्फ़ इतना ही पता चला कि पहले यह बिहार के अंतर्गत था अब झाड़खण्ड का एक भाग है जहाँ पहाड़, झरने है और वहाँ संगीत प्रेम है। यह भी बताना चाहिए था कि जहाँ से हर रेडियो स्टेशन पर फ़िल्मी गानों की फ़रमाइश भेजी जाती है वहाँ का अपना लोक संगीत कैसा है और वहाँ की जनता की अपने लोक संगीत और ग़ैर फ़िल्मी संगीत में कितनी रूचि है ? फ़िल्मी गानों की दीवानी इस नगरी में कितने फ़िल्मी गायक बनने की तमन्ना रखते है ? आदि…

शनिवार और रविवार को पुरानी फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए जैसे 12 ओ क्लाक फ़िल्म का गीता दत्त का गाया गीत -


कैसा जादू बलम तुमने डाला

खो गया नन्हा सा दिल हमारा


3:30 बजे शनिवार और रविवार को नाट्य तरंग में दिनेश भारती का लिखा नाटक सुना - गैस का चूल्हा

पिटारा में शुक्रवार को पिटारे में पिटारा कार्यक्रम में चूल्हा चौका कार्यक्रम में ऐसे व्यंजन बनाना बताया गया जिसे घर में तैयार किया जा सकता है। सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में डा संजीव शाह से मधुमेह (डायबिटीज़) के बारे में निम्मी (मिश्रा) जी ने बातचीत की। इसके लक्षणों जैसे प्यास ज्यादा लगना, कमज़ोरी आदि के बारे में बताया साथ ही कारण और निवारण पर विस्तार से चर्चा हुई। बुधवार को रचयिता निर्माता आशुतोष गावरकर से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत प्रसारित हुई। असफल फ़िल्मों के बाद लगान जैसी फ़िल्म बनाने का साहस करना और सफल होना, अच्छी रही यह चर्चा।

5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद फ़िल्मी हंगामा में नए फ़िल्मी गीत बजते रहे।

7 बजे जयमाला में नए पुराने गंभीर भावों के मिले-जुले गीत सुनवाए गए। ऐसे गीत भी सुनने को मिले जिनकी फ़रमाइश फ़ौजी भाइयों ने बहुत दिनों बाद की जैसे फ़िल्म सफ़र। शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया गीतकार समीर ने। अपने गीतकार पिता अन्जान के बारे में बताया, खुद के गीतों को तैयार करने के अनुभव बताए और गीत भी सुनवाए।

7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में कमला झिंगियानी की आवाज़ में झूलेलाल का सिंधी लोकगीत सुन कर बहुत आनन्द आया। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में पधारे निम्मी (मिश्रा) जी और महेन्द्र मोदी जी। इस बार की पत्रावली में भी नए साल की शुभकामनाएँ थी। इस बार भी तारिफ़ें और शिकायतें थी और कुछ बन्द हुए कार्यक्रम जैसे मंथन आदि को दुबारा शुरू करने के सुझाव आए। एक पत्र अच्छा लगा जिसे किसी ग्राम पंचायत से बहुत से लोगों ने मिलकर लिखा था। मंगलवार को ग़ैर फ़िल्मी क़व्वालियाँ सुनवाई गई। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में नृत्य निर्देशक प्रवर सेन से रेणु (बंसल) जी की बातचीत की प्रसारित हुई। नृत्य निर्देशन को करिअर की तरह कुछ ही समय से अपनाया जा रहा है, इस संबंध में चर्चा अच्छी चली। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने।

8 बजे हवामहल में शुक्रवार को रूपक सुनवाया गया बापू के राम जिसके लेखक है प्रशान्त पाण्डेय और निर्देशक गंगा प्रसाद माथुर। सोमवार को हैदराबाद की प्रस्तुति रही - अज़हर अफ़सर की लिखी और ज़ाफ़र अली खाँ की प्रस्तुतकर्ता झलकी सुनी - एक पार्टी में, बहुत दिन बाद सुनी के पी सक्सेना की लिखी झलकी - चोर ऐसे आते है जिसके निर्देशक है विनोद आनन्द दयाल।


9 बजे गुलदस्ता में भक्ति संगीत सुनवाया गया पर अंतिम दिनों में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई।


9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में तेरी मेहरबानियाँ, गाइड, रंगीला जैसी नई पुरानी फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।


10 बजे छाया गीत में मंगलवार को गीत अच्छे रहे ख़ास कर दस्तक फ़िल्म का लताजी का गाया यह गीत तो बहुत दिन बाद सुना -

बैंया ना धरो ओ बलमा

ना करो मोसे रार


छाया गीत आजकल एकरस होता जा रहा है, वही आवाज़ें, वही अन्दाज़, वही चाँद, तारे, फूल, प्यार, नींद, सपने, यादों, वादों के लगभग एक जैसे आलेख। अच्छा तो लगता है पर… रोज़-रोज़ रोटी दाल और बदल-बदल कर सब्जियाँ खाने से ऊब हो जाती है, कभी-कभार हलवा-पूरी समोसा-कचोरी खाने का भी मन करता है।

Tuesday, February 3, 2009

तितली उड़ी

बसन्त का सुहावना मौसम आ गया है। साल भर में यह एक ही ॠतु है जो मनभावन होती है। हालांकि ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से दिन में धूप तेज़ हो जाती है पर अक्सर हल्की धूप और ठंडी-ठंडी हवा के झोकों के साथ झड़ते पत्तों की सरसराहट खुशनुमा होती है।

पेड़ों के पत्ते झड़ रहे है तो नए पत्ते भी आ रहे है। आम के वृक्षों में बौर आ गया है। पौधों में फूल खिले है और इन पर मंडरा रही है रंग-बिरंगी तितलियाँ जिन्हें देखकर मुझे याद आ रहा है शारदा का गाया एक गीत।

शारदा ने कुछ फ़िल्मों में संगीत भी दिया है और कुछ गीत भी गाए है पर इस गीत से ही शारदा को अपार लोकप्रियता मिली। शायद यह उनका गाया पहला गीत है।

यह गीत है फ़िल्म सूरज का। साठ के दशक की इस फ़िल्म में यह गीत मुमताज़ गाती है और यह गीत मुमताज़ और वैजन्ती माला पर फ़िल्माया गया है। नायिका वैजन्ती माला है। दोनों बग्घी में जा रहे है। घोड़े की लगाम मुमताज़ के हाथ में है और फ़िज़ाओं में गूँज रही है शारदा की आवाज़।

शारदा की गूँजती आवाज़ में यह गीत इतना अच्छा लगता है कि मैं तो किसी और आवाज़ में इस गीत की कल्पना भी नहीं कर सकती। पहले रेडियो पर बहुत सुना करते थे यह गीत। अब बहुत सालों से नहीं सुना है जिससे गीत याद रहने के बावजूद भी बोल ठीक से याद नहीं आ रहे। संगीत शायद शंकर जयकिशन का है पर बोल किसने लिखे मुझे याद नहीं -

तितली उड़ी उड़ जो चली
फूल ने कहा आ जा मेरे पास
तितली कहे मैं चली आकाश

डाली जैसा तन मेरा फूलों जैसे अंग
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तितली ने कहा मेरा सारा आकाश

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

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