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Friday, January 30, 2009

साप्ताहिकी 29-1-09

मंगलवार की शाम से विविध भारती पूर्व राष्ट्रपति श्री आर वेंकटरमन जी के निधन से शोक में डूबी रही। विभिन्न कार्यक्रमों के स्वरूप में परिवर्तन किया गया जिनकी प्रस्तुति संयत वाणी में पूरी सावधानी से की गई कि हमारी संस्कृति को आघात न लगे।

इस सप्ताह के आरंभिक दिन गणतंत्र दिवस, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्मदिन और बालिका दिवस के कारण विशेष रहे।

सुबह 6 बजे समाचार के बाद सुभाषचन्द्र बोस, महात्मा गाँधी के विचार बताए गए। उपनिषद के कथन बताए गए। वन्दनवार में नए पुराने भजन सुनवाए गए। काँवड़ियों के नए भजन अच्छे लगे। हर दिन कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा।

7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम में एकाध लोकप्रिय गीत के साथ भूले बिसरे गीत सुनवाए गए। गणतंत्र दिवस पर यह कार्यक्रम संतुलित रहा। सिर्फ़ आज़ादी के क्रान्तिकारी गीतों की ही भरमार नहीं रही बल्कि एक ऐसा गीत भी सुनवाया गया जिसमें आज़ादी के बाद पंचवर्षीय योजना और पंचायती राज जैसे कार्यक्रमों की सफलता की बात कही गई। इस युगल गीत में रफ़ी साहब की आवाज़ भी शामिल है। बोल कुछ इस तरह है - चलेगा पंचवर्षी प्लान… अंतिम दिनों में कार्यक्रम मूल रूप में प्रसारित हुआ पर गंभीर गीत सुनवाए गए।

7:30 बजे संगीत सरिता में श्रृंखला मेरी संगीत यात्रा जारी रही जिसमें प्रख़्यात संगीतज्ञ पंडित जसराज अपने बालसखा स्वामी हरिप्रसाद से अपनी संगीत यात्रा बता रहे है। विभिन्न रागों पर बंदिशे भी सुनाई। सूरदास और तुलसीदास के भक्ति पद भी सुनाए। संगीत के चमत्कार की बाते हम सुनते थे पर यहाँ अनुभव बताए जा रहे है। बताया गया कि बड़े भाई साहब का गला ख़राब हो गया और डाक्टर कुछ कर नहीं सके पर नवरात्र पर देवी माँ की स्तुति गानी शुरू की और सब कुछ ठीक हो गया। इसके अलावा विभिन्न पुरस्कारों और सम्मान की बातें बताई गई। पद्मश्री से लेकर आने वाले दिनों में केरल में दिए जाने वाले सम्मान तक की जानकारी दी।

7:45 को त्रिवेणी शुक्रवार को नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को समर्पित रही। आलेख और प्रस्तुति अच्छी रही और उसके साथ सुनवाए गए गीत भी -

सुनो रे सुनो देश के हिन्दु मुसलमान
सुनो बहन भाई सुनो सुनो नौजवान
ये सुभाष की कथा सुनो रे

और समापन किया आज़ाद हिन्द फ़ौज के गीत से -

कदम कदम बढाए जा ख़ुशी के गीत गाए जा
ये ज़िन्दगी है क़ौम की
तू क़ौम पर लुटाए जा

गणतंत्र दिवस पर भी अच्छी प्रस्तुति रही। इसके अलावा जीवन में झूठ बोलने और कोरे सपने देखने की तथा विभिन्न उद्येश्यों पर चर्चा हुई कि कैसे सबके जीवन के उद्येश्य अलग-अलग होते है।

दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में शुक्रवार को आई रेणु (बंसल) जी, शुरूवात शोले फ़िल्म के गीत से कर निर्माता निर्देशक रमेश सिप्पी को जन्मदिन की बधाई दी गई, इसके अलावा फ़िल्में रही हरे काँच की चूड़ियाँ, मिस्टर एंड मिसेज 55, बन्दिनी, साज़ और आवाज़, दुल्हन एक रात की, आमने सामने जैसी पुरानी लोकप्रिय फ़िल्में। शनिवार की लोकप्रिय फ़िल्में जैसे हरे रामा हरे कृष्णा, बरसात, यादों की बारात लेकर आए अमरकांत जी। रविवार को कमल (शर्मा) जी शिकार जैसी साठ के दशक की फ़िल्में लेकर आए। सोमवार को आज़ादी के नए गीत शामिल रहे। मंगलवार को युनूस जी ले आए ए आर रहमान की फ़िल्में और दी ढेर सारी शुभकामनाएँ कि आस्कर ले आए - फ़िल्मों का क्रम भी अच्छा रहा रोज़ा, ताल, रंगीला, दिल से, रंग दे बसन्ती, जोधा अकबर, 1947 अर्थ, जाने तू या जाने न, इसके अलावा अन्नू मलिक के संगीत से सजा विरासत फ़िल्म का गीत भी शामिल रहा।
बुधवार से शोक के माहौल में चित्रपट संगीत प्रस्तुत किया गया जिसमें फ़िल्मों के गंभीर, उद्येश्यपूर्ण गीत सुनवाए गए जैसे रफ़्तार फ़िल्म का यह गीत -

संसार है एक नदिया दुःख सुख दो किनारे है
ना जाने कहाँ जाए हम बहते धारे है

1:00 बजे म्यूज़िक मसाला कार्यक्रम इस सप्ताह सामान्य ही रहा पर बुधवार और गुरूवार को चित्रपट संगीत जारी रहा।

1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में श्रोताओं की पसन्द के कुछ पुराने और नए गीत सुनवाए गए। शनिवार को देश भर में मनाए जा रहे राष्ट्रीय बालिका दिवस को ध्यान में रखकर श्रोताओं की पसन्द में से सुमन कल्याणपुर का गाया फ़िल्म दिल एक मन्दिर का यह उचित गीत चुनकर सुनवाया गया -

जूही की कलि मेरी लाड़ली
नाज़ों की पली मेरी लाड़ली
ओ आ किरण मेरी जुग जुग जिए
नन्ही सी परी मेरी लाड़ली

बुधवार और गुरूवार को फ़रमाइशी गानों में से गंभीर गीत चुन कर सुनवाए गए।

3 बजे सखि सहेली में शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की शहनाज़ (अख़्तरी) जी ने। विभिन्न स्थानों से फोन आए छात्राओं ने अपनी शिक्षा और अपने करिअर के बारे में बताया। घरेलु महिलाओं के भी फोनकाल आए। उनसे बातचीत हुई और उनकी पसन्द के गाने सुनवाए गए। मुझे एक बात खलती है कि बातचीत में उनकी शिक्षा और उनकी पसन्द के कार्यक्रमों के बारे में और उस स्थान के बारे में ही बात की जाती है, मुझे लगता है कि जब यह एक अवसर है कि अलग-अलग स्थानों से महिलाएँ बात करती है तो वहाँ की संस्कृति के बारे में भी तो बात की जा सकती है जैसे वहाँ के विशिष्ट खान-पान, लोक पर्व आदि। हमारे देश में एक ही त्यौहार अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है, इस पर भी बात की जा सकती है। पत्रावली में कहा गया कि श्रोता कुछ ज्यादा जानकारी नहीं देते। मेरा मानना है कि अगर श्रोता नहीं कहते है तो विविध भारती तो उनसे पूछ सकती है।

सिर्फ़ हैलो सहेली ही नही हैलो फ़रमाइश का भी यही हाल है। विविध भारती के स्टूडियो से रटी रटाई बातें पूछी जाती है जैसे घर में कौन-कौन है, क्या पढते हो, क्या काम करते हो, शहर में क्या देखने लायक है, गाँव में क्या खेती होती है, आपके शौक़ क्या है और बस गाना…

मंगलवार को मासमीडिया के क्षेत्र में करिअर बनाने की जानकारी दी गई। बुधवार और गुरूवार को सखियों के फ़रमाइशी गीतों से चुनकर गंभीर गीत सुनवाए गए जैसे फ़िल्म कटी पतंग का लता जी का गाया यह गीत -

ना कोई उमंग है ना कोई तरंग है
मेरी ज़िन्दगी है क्या एक कटी पतंग है

पोलियो, सर्व शिक्षा अभियान जैसे विषयों की चर्चा गई। गुरूवार को सफल महिलाओं की जानकारी दी जाती है। इस सप्ताह कर्नाटक शास्त्रीय संगीत की विख्यात गायिका एम एस सुब्बालक्ष्मी से संबंधित जानकारी दी गई। उनके जीवन, कलाकार बनने का सफ़र और संगीत के क्षेत्र में योगदान की चर्चा की गई।

शनिवार और रविवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में लोकप्रिय फ़िल्मों के सदाबहार गीत सुनवाए गए पर ज्वैल थीफ़ का यह गीत तो तीन दिन पहले ही छाया गीत में सुनवाया गया था -

दिल पुकारे आ रे आ रे आ रे
ओ अभी न जा मेरे साथी

इसी फ़िल्म का कोई और गीत सुनवा देते जैसे -

रूला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा

3:30 बजे शनिवार और रविवार को नाट्य तरंग में सुना मौलियर का लिखा नाटक - पुराना मर्ज नया इलाज जिसके रूपान्तरकार और निर्देशक है विनोद रस्तोगी। यह इलाहाबाद केन्द्र द्वारा तैयार किया गया है। किस भाषा से हिन्दी रूपांतर किया गया यह नही बताया. नाटक मजेदार रहा. लड़की जिस से प्यार करती है उससे पिता शादी नही करवाना चाहता, इसीलिए लड़की बीमारी का बहाना करती है और उसका प्रेमी डाक्टर बन कर आता है और इलाज नकली शादी बताता है पर पंडित असली शादी करवा देता है.

शाम 4 बजे रविवार को यूथ एक्सप्रेस में सेना की बातें हुई। कुछ सामान्य जानकारी दी गई। सुभाषचन्द्र बोस पर जानकारी दी। मेराथन दौड़ के बारे में बताया गया। असम की सैर की।


पिटारा में शुक्रवार को पिटारे में पिटारा कार्यक्रम में बाईस्कोप की बातें कार्यक्रम के अंतर्गत लोकेन्द्र शर्मा ने बताई मेरे महबूब फ़िल्म की बातें। शोध और आलेख अशोक अय्यर जी का था जो बहुत अच्छा था। निर्माता निर्देशक हेच एस रवेल के बारे में बताया जिन्होनें इस फ़िल्म के अलावा और भी बेहतरीन फ़िल्में बनाई। उनकी पहली फ़िल्म पतंगा के इस मशहूर पुराने गीत का मुखड़ा भी सुनवया गया -

मेरे पिया गए रंगून वहाँ से किया है टेलीफून
तुम्हारी याद सताती है

मेरे महबूब से जुड़ी दिलचस्प बात यह रही कि निम्मी ने अपना यह चरित्र खुद चुना क्योंकि उन्हें नायिका से ज्यादा अच्छा यह चरित्र लगा और साथ में अशोक कुमार के साथ काम करने का मौका भी। एक उम्दा फ़िल्म के बारे में उम्दा बातें बताई गई।

सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में विपिन उपाध्याय से दांतों की सुरक्षा के बारे में रेणु (बंसल) जी ने बातचीत की. बुधवार को भक्ति संगीत में पुराने गायकों की रचनाएँ सुनवाई गई जैसे जुतिका राय, कानन देवी, एम एस सुब्बालक्ष्मी और गुरूवार को चित्रपट संगीत में शान्त, गंभीर प्रकृति के गीत सुनवाए गए।

5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद नए फ़िल्मी गानों के कार्यक्रम फ़िल्मी हंगामा में नई फ़िल्मों के गीत बजते रहे… वही हा हू चलता रहा… तथा सप्ताह के अंतिम दो दिन शान्त गीत बजते रहे।

7 बजे जयमाला में गणतंत्र दिवस के अवसर पर कुछ देशभक्ति गीत भी सुनवाए गए। शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया अभिनेत्री और गायिका बहनें सुलक्षणा और विजेता पंडित ने। इस कार्यक्रम को दुबारा सुनना अच्छा लगा।

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर महामहिम राष्ट्रपति का राष्ट्र के नाम संदेश प्रसारित किया गया।

7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में भूपेन हज़ारिका की आवाज़ में असमी लोकगीत सुन कर बहुत आनन्द आया। सुबीर कुमार की आवाज़ में भी एक गीत अच्छा था। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में पधारे निम्मी (मिश्रा) जी और महेन्द्र मोदी जी। इस बार की पत्रावली में भी नए साल की शुभकामनाएँ थी। इस बार की पत्रावली ख़ास रही। विदेशों में विविध भारती सुने जाने के प्रमाण मिले। जर्मन और अमेरिका से श्रोताओं ने विविध भारती सुनकर, कुछ कार्यक्रमों की रिकार्डिंग कर ईमेल भेजा और यही रिकार्डिंग सुनवाई गई। जर्मन में आवाज़ ज्यादा साफ़ लगी। मंगलवार को शोक की लहर में नाद सुनवाई गई। बुधवार को निर्माता राकेश सावन्त से रेणु (बंसल) जी की बातचीत की अगली कड़ी प्रसारित हुई। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने।

8 बजे हवामहल में सुनी हास्य झलकी क्रोध हरण शलाका (रचना चिरंजीत निर्देशक दीनानाथ) ये तेरा घर ये मेरा घर (रचना दिव्या चौधरी निर्देशन गोवेन्द त्रिवेदी) शोक के समय गंभीर फ़िल्मी गीत सुनवाए गए।

9 बजे गुलदस्ता में इस सप्ताह सामान्य सा लगा। हालांकि आज़ादी के गीत और ग़ज़लें शायद एलबमों से मिल सकते… मंगलवार से भक्ति संगीत प्रसारित किया गया।

9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में गणतंत्र दिवस पर हिन्दुस्तान की क़सम फ़िल्म के गीत सुनवाए गए। इसके अलावा कहो न प्यार है, बारूद फ़िल्में इस कार्यक्रम में शामिल रही। शोक के दौरान चित्रपट संगीत में गंभीर फ़िल्मी गीत सुनवाए गए।

रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में निर्माता निर्देशक जे ओमप्रकाश से युनूस जी की बातचीत की अगली कड़ी सुनी। अपनी फिल्मो के गीतों के बारे में बताया की किस तरह वो सिर्फ़ सिचुएशन बता कर ही गीत नही लिखवाते बल्कि संगीत का भी ध्यान रखते हुए यह भी संगीतकार से बताते की गीत कौन से राग में होना चाहिए.

10 बजे छाया गीत सोमवार को अच्छा रहा, आज़ादी के रंग में रंगा था। गीत, प्रस्तुति, सुन्दर संक्षिप्त आलेख, सभी बढिया रहा। मंगलवार से छाया गीत अपने मूल रूप में प्रसारित हुआ पर गंभीर भावों के गीतों के साथ। गुरूवार को केवल गीत सुनवाए गए वो भी संजीदा भाव के।

इस सप्ताह और पिछले सप्ताह भी पर्लस पोलियो अभियान के अंतर्गत श्रोताओं को 5 साल से कम उमर के सभी बच्चों को पोलियो की ख़ुराक पिलाना याद दिलाया गया। विभिन्न कार्यक्रमों में यह महत्वपूर्ण सूचना दी गई।

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