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Friday, November 21, 2008

साप्ताहिकी 20-11-08

इस सप्ताह दो दिन विशेष रहे, पहला दिन - बालदिवस और बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का जन्मदिन जिस दिन से शुरू हुआ क़ौमी एकता सप्ताह।

सवेरे 6 बजे समाचार के बाद चिंतन से प्रसारण की शुरूवात हुई जिसमें जवाहरलाल नेहरू के विचार बताए गए लेकिन उसके बाद वन्दनवार में हम प्रतीक्षा करते रह गए पर एक भी भजन बालगोपाल का नहीं बजा। वैसे देशगान हल्का सा नेहरू के आदर्शों को छूने वाला था। अन्य दिनों में गाँधी, सुभाष चन्द्र बोस, प्रेमचन्द जैसे विद्वानों के विचार चिन्तन में बताए गए पर अच्छा होता अगर बुधवार को संबंधित बात बताई जाती। वन्दनवार में भजन भी सप्ताह भर अच्छे ही सुनवाए गए जैसे -

मैं काँवड़ियाँ मैं भोले का पुजारी
भोले बसे है मेरे मन में

7 बजे भूले-बिसरे गीत में भी यही हाल रहा। एक भी गीत बच्चों के लिए नहीं सुनवाया गया और न ही बुधवार को कोई संबंधित गीत सुनवाया गया। अन्य दिनों में कुछ वाकई भूले बिसरे गीत सुनवाए गए तो कुछ लोकप्रिय गीत भी बजे जैसे सुरैया का गाया गजरे फ़िल्म का भूला बिसरा गीत सुनवाया गया और शमा फ़िल्म का यह लोकप्रिय गीत -

धड़कते दिल की तमन्ना हो मेरा प्यार हो तुम

7:30 बजे संगीत सरिता में श्रृंखला रागों में भक्ति संगीत की धारा इस सप्ताह समाप्त हुई जिसे प्रस्तुत कर रहे थे गायक और संगीतकार शेखर सेन। इस सप्ताह विभिन्न रागों में ग़ैर फ़िल्मी लोकप्रिय भजन सुनवाए गए जैसे -

राग भैरवी में दुर्गा सप्तशती के अंश अनुराधा पौडवाल की आवाज़ में

राग जोड़ कौंस में लता मंगेशकर की आवाज़ में सूरदास की भक्ति रचना -
निसदिन बरसत नैन हमारे
फिर इसी राग में ज़रीन दारूवाला का सरोद वादन और आरती अंगलीकर का गायन

कबीर की भक्ति रचनाएँ जुतिका राय की आवाज़ में -

घूँघट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगें

राग देस में अनूप जलोटा के स्वर में - झीनी चदरिया

राग मिश्र ख़माज में अनुराधा पौडवाल का गाया भजन और यह लोकपिय भक्ति पद -

मोको कहाँ ढूँढे रे बन्दे मै तो तेरे पास

एक नई श्रृंखला आरंभ हुई - कौंस के प्रकार जिसे प्रस्तुत कर रही है प्रसिद्ध गायिका अश्विनी (भेड़े) देशपाण्डेय, इसे तैयार किया है कांचन (प्रकाश संगीत) जी ने। लगता है यह पहली बार प्रसारित हो रही है क्योंकि याद नहीं आ रहा कि इसे पहले कभी सुना था। जैसे कि शीर्षक से ही समझा जा सकता है कि यह कौंस के विभिन्न रागों पर आधारित है। शुरूवात की गई राग मालकौंस से जिसमें बैजू बावरा फ़िल्म का प्रसिद्ध गीत गायन रूप में प्रस्तुत किया गया -

मन तड़पत हरि दर्शन को आज

जिसके बाद नवरंग फ़िल्म का गीत सुनवाया गया -

तू छुपी है कहाँ मैं तड़पता यहाँ

बातचीत कर रहे है अशोक (सोनावने) जी। कौंस की प्राचीनता के बारे में बताते हुए विभिन्न रागों की पूरी जानकारी दी जा रही है जैसे राग मालकौंस शांत प्रकृति का राग और रात में गाया बजाया जाता है।

7:45 पर त्रिवेणी में शुक्रवार को पुराना अंक प्रसारित हुआ जिसमें जीवन में हर स्तर पर मिलावट की बात कही गई, क्या ही अच्छा होता अगर इस दिन त्रिवेणी बच्चों के नाम होती। इसी तरह बुधवार को भी संबंधित विषय नहीं उठाया गया। अन्य दिनों में भी बहुत ही उच्च स्तरीय बातें हुई। वैसे भी संगीत सरिता में भक्ति रचनाएँ चलती रही उसके बाद त्रिवेणी में भी लगभग यही माहौल कुछ ठीक नहीं लगा। एक दिन बताया गया कि दुनिया भर के झगड़े ज़मीन को लेकर है और संबंधित गाने सुनवाए गए जैसे फ़िल्म ताजमहल का गीत -

ख़ुदाए बरकत तेरी ज़मीं पर ज़मीं की ख़ातिर ये जंग क्यों है

भई त्रिवेणी के इस अंक को सुनने के बाद हमने फ़्लैट ख़रीदने का इरादा छोड़ दिया है… :):):) अरे भई ऐसी भी सीख न दो कि सुनने वाले दुनियादारी छोड़ कर सन्यासी हो जाए।

दोपहर 12 बजे हर दिन प्रसारित हुआ कार्यक्रम एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने।

शुक्रवार को कटी पतंग, किस्मत, आई मिलन की बेला, मेरे जीवन साथी, काला बाज़ार, ललकार जैसी साठ सत्तर के दशक की लोकप्रिय फ़िल्में लेकर पधारी मंजू (द्विवेदी) जी। शनिवार को वारिस, अनमोल मोती, गीत गाया पत्थरों ने, अनोखी अदा, फ़र्ज़, सुहाग रात, गहरी चाल, मवाली जैसी साठ से अस्सी के दशक की जितेन्द्र की लोकप्रिय फ़िल्में लेकर आए अशोक (सोनावने) जी। जितेन्द्र के बारे में हल्की-फुल्की बातें भी बताई। सोमवार को पार्टनर, मर्डर, टैक्सी नं नौ दो ग्यारह, ताल, बंटी और बबली जैसी नई फ़िल्में लेकर आए अमरकान्त जी पर पहली बार ऐसा हुआ कि टेलीफोन लाइन की गड़बड़ी के कारण एसएमएस मिल ही नहीं रहे थे और बिना संदेशों के ही गाने सुनवाए गए। मंगलवार को आए कमल (शर्मा) जी, फ़िल्में रही दामिनी, कयामत से कयामत तक, धड़कन, नो एन्ट्री, नील एंड निक्की, झूम बराबर झूम जैसी अस्सी के दशक से अब तक की फ़िल्में। बुधवार को पधारीं सलमा (सय्यैद) जी और फ़िल्में रही जानी मेरा नाम, आँखें, कहो न प्यार है जैसी साठ के दशक से अब तक की लोकप्रिय फ़िल्में। गुरूवार को पधारीं शहनाज़ (अख़्तरी) जी और फ़िल्में रही समाधि, माया, नूरी, टशन, आरज़ू, मेरे हमदम मेरे दोस्त, किस्मत कनेक्शन, रेस जैसी साठ के दशक से अब तक की लोकप्रिय फ़िल्में। लेकिन बीच में 12:30 बजे से 15 मिनट के लिए कार्यक्रम को काट कर क्षेत्रीय (तेलुगु) समाचार बुलेटिन का प्रसारण किया गया।

इसमें कुछ ऐसे गीत भी सुने जो बहुत लम्बे समय से नहीं बजे जैसे -

हैय्या ओ गंगा मय्या (फ़िल्म सुहाग रात)

हर गाने के लिए संदेश भेजने वालों के नाम और शहर का नाम बताया जाता रहा। इस कार्यक्रम को विजय दीपक (छिब्बर) जी प्रस्तुत कर रहे है और प्रस्तुति सहयोग रहा निखिल धामापुरकर जी और दिलीप (कुलकर्णी) जी का।

1 बजे म्यूज़िक मसाला में तुम याद आए एलबम का अलका याज्ञिक का गाया जावेद अख़्तर का लिखा और राजू सिंह का स्वरबद्ध किया यह गीत बहुत बहुत बार सुन चुके है फिर भी बजता ही रहता है -

सारे सपने कहीं खो गए
हाय हम क्या से क्या हो गए

1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में शुक्रवार को अमरकान्त जी ने इस गाने से शुरूवात कर जता दिया कि विविध भारती पर बालदिवस भी मनाया जाता है -

जिंगल बेल जिंगल बेल
आओ तुम्हें चाँद पे ले जाए

पर बुधवार को प्रस्तुत किया रेणु (बंसल) जी ने और फ़रमाइशी गीतों में से एक भी गीत ऐसा नहीं चुना जो महिलाओं या क़ौमी एकता पर आधारित हो।

3 बजे शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की शहनाज़ (अख़्तरी) जी ने। आते ही बताया कि आज बालदिवस है पर न तो पहला फोनकाल इससे संबंधित था और न ही गीत, इस गीत से शुरूवात हुई -

हमारी शादी में अभी बाकी है हफ़्ते चार
पूनम ओ जानम ओ

स्कूल की लड़कियों के फोनकाल आए, बातचीत तो अच्छी हुई, उनकी उमर के शौक पता चले पर बच्चों के गाने पसन्द नहीं किए गए।

सोमवार को रसोई की बातें होती है जिसमें विटामिन सी से भरपूर आँवले की चटनी बनाना बताया गया जो एक सखि ने भेजा था। साथ ही बताया गया ख़ाना परोसना भी। इस दिन पचास साठ के दशक की फ़िल्मों के अच्छे गीत सुनवाए गए जैसे आम्रपाली का गीत -

तुम्हें याद करते करते जाएगी रैन सारी
तुम ले गए हो अपने संग नींद भी हमारी

मंगलवार को करिअर की बातें की जाती है जिसके अंतर्गत जानकारी दी गई कि एयर होस्टेस कैसे बनें। क्योंकि बातें करिअर की होती है इस दिन यानि युवाओं की इसीलिए गाने नए सुनवाए जाते है। बुधवार को सुबह से ही लग रहा था कि इस दिन की ख़ासियत शायद विविध भारती भूल गई है पर सखि-सहेली में क़ौमी एकता (एकता संभाव) दिवस की बात जोर-शोर से हुई और ज़ोरदार ग़ैर फ़िल्मी गीत सुनवाया गया -

मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा

और विशेष रूप से इस दिन लोक गीत गायिका अनुराधा श्रीवास्तव और प्रभा सिंह से कांचन (प्रकाश संगीत) जी की बातचीत अच्छी लगी। विभिन्न अवसरों के लोक गीत भी गाकर सुनवाए जैसे जनेऊ पर गाया जाने वाला गीत और बच्चों को पहले स्माल पाँक्स निकला करता था जिसे लोक भाषा में कहा जाता था कि माताजी ने दर्शन दिए, इस अवसर पर गाया जाने वाला गीत। एक अच्छे अंक के लिए धन्यवाद कमलेश (पाठक) जी !

बुधवार होने से सर्दियों में सेहत की देखभाल की बातें बताई गई। गुरूवार को सफल महिला सावित्री बाई फूले के बारे में बताया गया जो भारत की प्रथम अध्यापिका और समाज सेविका थी।

3 बजे शनिवार को क्षेत्रीय केन्द्र हैदराबाद से पर्यावरण से संबंधित प्रायोजित कार्यक्रम सुना - कोशिश सुनहरे कल की जो तेलुगु में सुनवाया गया। रविवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में हमेशा की तरह लोकप्रिय फ़िल्मों के लोकप्रिय गीत सुनवाए गए।

शनिवार को नाट्य तरंग में सुना समीर गांगुली का लिखा नाटक डबल बेल जिसके निर्देशिक है अनूप सेठी। यह बम्बई की बस यात्रा है जिसमें तरह-तरह के यात्री है। यात्री शहर की बस से गाँव की बस की तुलना करते है। लगा यह नाटक पुराना है क्योंकि कडंकटर से पाँच पैसे छुट्टे माँगे गए। रविवार को जयदेव शर्मा कमल के निर्देशन में स्वामी जी पर आधारित प्रबुद्ध स्तर का नाटक सुना।

रविवार को शाम 4 बजे यूथ एक्सप्रेस न तो एक्सप्रेस थी और न ही लोकल ट्रेन की तरह भीड़-भाड़ थी, बस छुक-छुक करती गाड़ी घिसट रही थी। विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश की सूचना दी गई। एक जानकारी नई थी कि कैसे कप्यूटर पर काम करते हुए कलाई का दर्द होता है। नए गाने सुनवाए गए। गानों के लिए कुछ अधिक समय रहा। किताबों की दुनिया में विदेशी लेखक थे।

4 बजे पिटारा में शुक्रवार को पिटारे में पिटारा कार्यक्रम के अंतर्गत सरगम के सितारे कार्यक्रम में संगीतकार एस एन त्रिपाठी के बारे मे जानकारी दी गई। बहुत अधिक जानकारी तो नहीं मिल पाई पर गाने अच्छे सुनवाए गए जैसे -

ओ पवन वेग से उड़ने वाले घोड़े

न किसी की आँख का नूर हूँ

वैसे भी इस संगीतकार के सभी गीत अच्छे है।

सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में हृदय रोग विशेषज्ञ डा देव पहलाज़नी (शायद नाम लिखने में ग़लती हो) से निम्मी (मिश्रा) जी ने बातचीत की। बच्चों में हृदय रोग शरीर में नसों से विषैला पदार्थ फैलने से होता है जिसे रूमाटिक रोग कहते है और बड़ों में तनाव, रक्तचाप आदि से होता है। इस तरह हृदय रोग के बारे विस्तृत जानकारी दी गई। बुधवार को आज के मेहमान में फ़िल्म समीक्षक प्रह्लाद अग्रवाल से युनूस (ख़ान) जी की बातचीत सुनवाई गई। दोनों का संबंध जबलपुर से है इसीलिए बातचीत अधिक आत्मीय लगी।

हैलो फ़रमाइश में शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को श्रोताओं से फोन पर हल्की-फुल्की बातचीत होती रही और उनके पसंदीदा नए पुराने गीत बजते रहे।

5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद नए फ़िल्मी गानों के कार्यक्रम फ़िल्मी हंगामा में सभी गीत नए सामान्य गीतों की तरह रहे जैसे आवारापन फ़िल्म से यह गीत -

प्यार यार यार यार

7 बजे जयमाला में रोज़ फ़ौजी भाइयों के फ़रमाइशी गीत सुनवाए गए जिसमें नए गाने ज्यादा थे, कभी-कभार पुराने गीत भी सुनवाए गए जैसे फ़िल्म चोरी-चोरी का यह गीत -

जहाँ भी मैं जाती हूँ वहीं चले आते हो
ये तो बताओ के तुम मेरे कौन हो

पर बड़ा अजीब लगा जब बालदिवस यानि नेहरू जी के जन्मदिन पर उपकार फ़िल्म का मेरे देश की धरती सोना उगले जैसा गीत सुनवाया गया, ख़ैर… पसन्द फ़ौजी भाइयों की…

शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया गायक और संगीतकार जगजीत सिंह ने। खुद के बारे में बहुत ही कम बताया, गाने नए पुराने सभी सुनवाए जिसमें पंजाबी गीत भी शामिल रहा और इधर-उधर की बातें की।

7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में कच्छी और बृज गीत सुनवाए गए। पत्रावली में स्वर्ण जयन्ति के कार्यक्रमों की तारीफ़ का सिलसिला थमा नहीं है, दोनों दिन, शनिवार और सोमवार को इससे संबंधित पत्रों के साथ ईमेल भी शामिल रहे। मंगलवार को बज्म-ए-क़व्वाली में फ़िल्मी क़व्वालियाँ सुनी जैसे अमर अकबर एंथोनी फ़िल्म की क़व्वाली। बुधवार के इनसे मिलिए कार्यक्रम में गायिका जसमिन्दर नरूला से कमल (शर्मा) जी ने बातचीत की। अच्छी जानकारी मिली। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने जैसे राग पहाड़ी पर आधारित नवरंग फ़िल्म का गीत -

अरे जा रे हट नटखट न छू रे मेरा घूँघट
पलट के दूँगी आज तुझे गाली रे
मुझे न समझो न तुम भोली भाली रे

ऐसे गीत सुनते है तो कार्यक्रम की सार्थकता लगती है वरना तो…

8 बजे हवामहल में हास्य झलकियाँ सुनी - अब आए चक्कर में (लेखिका निर्मला अग्रवाल और निर्देशक कमल दत्त) मेहमान, चाचा मुंशी (निर्देशिका साधना भारद्वाज), लाँटरी पचास हज़ार की (निर्देशक गंगा प्रसाद माथुर), इसके अलावा पाप की गठरी (निर्देशक मक़बूल हसन), पार्थ सारथी द्वारा निर्देशित झलकी सुनी अब और नहीं।

रात 9 बजे गुलदस्ता में रूना लैला की आवाज़ में यह ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी -

रंजिशे सही दिल ही दुखाने के लिए आ

वैसे अन्य गीत और ग़ज़लें भी अच्छी रही।

9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में शुक्रवार को बालदिवस को ध्यान में रखकर मि इंडिया फ़िल्म के गीत सुनवाए गए। इसके अलावा कसमें वादे, जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली, दोस्ताना, किशन कन्हैया फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए जिनमें जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली फ़िल्म के गीत बहुत-बहुत दिन बाद सुनवाए गए।

रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में निर्माता निर्देशक प्रकाश मेहरा से कमल (शर्मा) जी की बातचीत की अगली कड़ी सुनी। ज़ज़ीर की बात हुई और बात हुई प्राण साहब के किरदार की। कलाकारों के भुगतान संबंधी बातों को खुल कर बताया। कलाकारों के सहयोग की भी बातें हुई जैसे हेरा फेरी की शूटिंग के दौरान सायरा बानो के साथ मिला सहयोग। यह जानकर बहुत दुःख हुआ कि पहली ही फ़िल्म ज़ंजीर से अमिताभ बच्चन जैसा कलाकार और सितारा देने वाले की झोली में कोई एवार्ड नहीं।

10 बजे छाया गीत में वही रात, चाँद, तारे, यादों के गीत ही सुनवाए गए।


1 comment:

Yunus Khan said...

आपकी सक्रियता की दाद देनी होगी ।
बेहद निष्‍पक्ष समीक्षा ।

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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।

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