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Monday, May 19, 2008

ख़ाका

ख़ाका शब्द का अर्थ बहुतों के लिए रेखांकन है। किसी का ख़ाका खींचना यानि किसी के बारे में प्राप्त जानकारी के आधार पर रेखाचित्र तैयार करना वग़ैरह वग़ैरह इस शब्द के अर्थ है पर एक हैदराबादी के लिए ख़ाका शब्द का अर्थ बिल्कुल ही अलग है।

हैदराबादी से मेरा मतलब है हैदराबादी तहज़ीब से जुड़े लोग जो पुराने शहर में ज्यादा नज़र आते है क्योंकि नए शहर में अन्य स्थानों से आकर बसे लोग होने से यह तहज़ीब कुछ कम होती जा रही है।

जहाँ तक आकाशवाणी हैदराबाद की बात करें तो वो पहले रेडियो दक्कन हुआ करता था। हैदराबाद की जो ख़ास उर्दू भाषा है उसे दक्खिनी उर्दू कहा जाता है जिसे महमूद ने फ़िल्मों में बहुत लोकप्रिय किया। हाँ के लिए हौ, ना के लिए नक्को, यहीं है के लिए यईंच है, बातें करना के लिए बाताँ करना जैसे शब्द और वाक्य।

रेडियो में तो अपनी संस्कृति से जुड़े कार्यक्रम प्रसारित होते है। आकाशवाणी हैदराबाद में भी ऐसे कार्यक्रम है जो हैदराबादी संस्कृति दिखाते है। ढोलक के गीतों की चर्चा तो हम पहले ही कर चुके है आज हम बात करेंगें एक ऐसे कार्यक्रम की जिसे विविध भारती की भाषा में झलकी कहा जाता है।

पाँच मिनट से लेकर पन्द्रह मिनट तक प्रसारित होने वाली यह झलकियाँ वास्तव में नाटक ही होती है। आकाशवाणी हैदराबाद के उर्दू कार्यक्रमों में प्रसारित होने वाली इस तरह की झलकियों को ख़ाका कहा जाता है जो हैदराबादी उर्दू में होती है।

इन ख़ाकों के माध्यम से कई बार गंभीर मसलों पर भी संदेश दिए गए है जैसे शिक्षा, परिवार नियोजन आदि। कई ख़ाके ऐसे भी होते है जिनमें नोक-झोक भी होती है। हमारे समाज में दो तरह की नोक-झोक बहुत प्रचलित है एक तो पति-पत्नी या मियाँ-बीवी की और दूसरी सास-बहू की। ऐसी दो झलकियाँ मियाँ-बीवी और सास-बहू शीर्षक से हवामहल में भी प्रसारित हो चुकी है।

अगर इन ख़ाकों में हास्य हो तो मिज़ाहिया ख़ाका कहा जाता है यानि हास्य झलकी। इन ख़ाकों का प्रसारण पहले बहुत होता था - रात में नयरंग में, दोपहर में ख़वातीन (महिलाओं) के लिए कार्यक्रम में परन्तु आजकल जैसे-जैसे हमारी नई पीढी इस तहज़ीब से दूर होती जा रही है वैसे-वैसे इन ख़ाकों के प्रसारणों में कमी आती जा रही है क्योंकि आजकल न तो उस तरह से लिखने वाले रहे और न ही वैसे कलाकार और श्रोता भी तो ऐसे कार्यक्रमों के कम हो गए है।

2 comments:

अफ़लातून said...

क्या आपकी पहल पर 'ख़ाके' फिर नहीं शुरु हो सकते? नई जानकारी मिली, मेहरबानी।
- अफ़लातून

annapurna said...

शुक्रिया अफ़लातून जी !

ख़ाके बन्द नहीं हुए पर बहुत कम हो गए है।

अन्नपूरणा

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