जयमाला में सोमवार से शुक्रवार तक फ़ौजी भाइयों की फ़रमाइश पर फ़िल्मी गीत सुनवाए जाते है। कार्यक्रम के अंत में देश भक्ति गीत सुनवाया जाता है जो फ़रमाइशी नहीं होता। इस फ़िल्मी देश भक्ति गीत के पहले और बाद में सलाम इंडिया की उदघोषणा के साथ विशेष संगीत भी बजता है।
यह फ़िल्मी देश भक्ति गीत 15 अगस्त और 26 जनवरी के साथ-साथ और भी कुछ अवसरों पर सुनवाए जाते है। मेरा सुझाव है कि इन फ़िल्मी देश भक्ति गीतों की जगह फ़ौजी भाइयों के गाए गीत सुनवाए जा सकते है।
सेना का अपना बैंड होता है। उनके द्वारा तैयार किए गए गीत भी होते है। मुझे याद आ रहा है एक पुराना गीत -
नौजवानों भारत की तस्वीर बना दो
फूलों के इस गुलशन से काँटों को हटा दो
गीतों के अलावा कुछ धुनें भी फ़ौजी बैंड द्वारा तैयार की जाती है। कई बार परेड ग्राऊंड पर सुनने को मिली विशेष अवसरों पर बजाई गई इस क़ौमी तराने की धुन -
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा
कुछ मार्च पास्ट की धुनें भी होती है। अगर सप्ताह में कम से कम एक दिन फ़ौजी भाइयों से इन गीतों और धुनों को सुनवाया जाए तो फ़ौजी भाइयों की कला से भी हम श्रोता परिचित होंगें।
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Friday, May 9, 2008
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2 comments:
वाह। अन्नपूर्ण जी आपका सुझाव तो बहुत अच्छा है।
वैसे ये बात हमें पता नही थी।
good suggestion
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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।